New Year 2022: नए साल में बीजेपी को और बुलंदियों पर पहुँचाने के लिए अमित शाह बना रहे हैं Master Plan, कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को धुल चटाने की है योजना
अमित शाह (Photo Credits: ANI)

लखनऊ, 31 दिसम्बर : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दोबारा सत्ता में पहुंचाने के लिए पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह ने विपक्षियों को मात देने के लिए अपनी व्यूह रचना तैयार करनी शुरू कर दी है. शाह ने 2014 से ही यूपी को पढ़ना शुरू कर दिया था. इसके बाद 2017 फिर 2019 में वह यहां के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हो गए. यहां की भौगोलिक और राजनीति परिस्थितियों को ढंग से जान चुके हैं. इसी कारण वह पहले की तरह ही दिन में जनसभा और रात में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ रणनीति तैयार कर रहे हैं. पार्टी के रणनीतिकार बताते हैं कि शाह को पता है कि 2022 से ही 2024 के जीत का रास्ता तय होगा. इसीलिए उन्होंने अपने यूपी के चुनावी अभियान शुरूआत में बता दिया था कि केन्द्र में अगर वर्ष 2024 में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है तो 2022 में एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होगा. उनके इस बयान के अपने अलग ही मायने हैं. उसी रणनीति पर भाजपा ने काम करना भी शुरू किया है.

अमित शाह रैलियों और रात की बैठकों के जरिए न सिर्फ सांगठनिक तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं, बल्कि अपने पुराने अंदाज में टिकटों पर चर्चा भी कर रहे हैं. हरदोई और सुल्तानपुर में जनसभाओं के बाद अमित शाह काशी पहुंचे और रात में संगठनात्मक बैठक की. बैठक अमित शाह के पुराने अंदाज की ओर इशारा करती है, जो चुनाव प्रबंधन में माहिर माने जाते हैं. इसके बाद वह मुरादाबाद, अलीगढ़ और उन्नाव में विपक्षियों पर जमकर किसी को लैब बताकर घेरा तो किसी के निजाम की कहानी बयां की. इसके बाद राजधानी लखनऊ में अमित शाह की अध्यक्षता में भाजपा मुख्यालय में हुई बैठक में अवध और कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की चुनावी तैयारियों की समीक्षा के साथ आगामी योजनाओं पर भी मंथन किया. यह भी पढ़ें : Year Ender 2021 Indian Sports: नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता; एथलेटिक्स में अब तक का पहला पदक

लखनऊ की बैठक में विधानसभा चुनाव से पहले कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर प्रदेश की भाजपा सरकार एक ओर जहां कोविड नियंत्रण के बेहतर प्रबंधन पर फोकस करेगी, वहीं दूसरी ओर संगठन डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग कर चुनाव प्रबंधन करेगा. सूत्रों के मुताबिक बैठक में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव पर चिंता जताई गई. पदाधिकारियों ने कोरोना नियंत्रण के बेहतर प्रबंधन, अस्पतालों में इलाज के पर्याप्त इंतजाम, कोरोना की दूसरी लहर में रही कमियों को दूर करने और डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग करने की सलाह दी. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान पार्टी डिजिटल माध्यमों का प्रयोग अच्छे से कर चुकी हैं. डिजिटल कार्यक्रम सफल रहे हैं, इसलिए विचार किया जाए कि चुनाव के दौरान भी डिजिटल रैलियों से संवाद किया जाए. जरूरत पर छोटे कार्यक्रम शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए किए जा सकते हैं. शाह बरेली की जनविश्वास यात्रा में शामिल होंगे. वहां पर भी रात्रि विश्राम में आगे की रणनीति तैयार करेंगे.

राजनीतिक जानकार प्रसून पांडेय कहते हैं कि अमित शाह साल 2014, 17, 19 के अपने राजनीतिक कौशल को दिखा चुके हैं. फिर से उनकी सक्रियता उसी ओर इषारा कर रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी के प्रभारी रहे अमित शाह ने पार्टी के लिए एक सफलता की पटकथा लिखी और रात की बैठकों की, जो भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका रही. 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव पुराना अनुभव उनका इस बार भी काम आएगा. हालांकि, स्थितियां बदली है. विपक्षी दल भी रणनीति बदलकर भाजपा से मुकबले के लिए तैयार है. नतीजे तो आने वाला वक्त तय करेगा.