मतदाता दिवस 2021 : कितने संयोग की बात है कि गणतंत्र दिवस से एक दिन पूर्व हम स्वस्थ एवं सशक्त लोकतंत्र के लिए मतदाता दिवस मनाते हैं. क्योंकि गणतंत्र और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक हैं. राष्ट्रीय मतदाता दिवस भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है. गौरतलब है कि 18 वर्ष की उम्र से हर भारतीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है. इस उम्र सीमा को स्पर्श करते ही चुनाव आयोग द्वारा उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज कर लिया जाता है. या मतादान के योग्य होने के साथ ही मतदाता को अपना नाम चुनाव आयोग के दफ्तर में दर्ज करवा लेना चाहिए. इसके बाद चुनाव आयोग उसे वोटर आईडी कार्ड प्रदान करता है. हमेशा की तरह इस वर्ष भी 25 जनवरी को मतदाता दिवस मनाया जायेगा. .
मतदाता दिवस का महत्वः
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. हर नागरिक को वोट देकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चयन करने का मौलिक अधिकार रखता है, जो देश का नेतृत्व करने में सक्षम हों, आम लोगों की समस्याओं का समाधान करने की सामर्थ्य रखता हो. राष्ट्रीय मतदाता दिवस का भारत में अपना ही महत्व है क्योंकि देश का भविष्य योग्य नेता में निहित है, जिन्हें हम चुनते हैं. गलत व्यक्ति के चुनाव से देश का विकास बाधित होगा, गलत लोगों से देश का नेतृत्व भी कमजोर होगा. जितना ज्यादा मतदान होता है, उतना ही बेहतर नेता चुना जाता है.
क्यों जरूरी है मतदान
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. भारत में मतदाताओं का मतदान में निरंतर कम होते रुझान को देखते हुए साल 2011 से चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने का निर्णय लिया था. हांलाकि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना या ना कराना व्यक्ति विशेष की स्वैच्छिक प्रक्रिया है. किसी पर जबरदस्ती मतदान का दबाव न सरकार बना सकती है, ना ही चुनाव आयोग. लेकिन देश की जनता को मतदान के लिए जागरूक करने का काम चुनाव आयोग का ही होता है, ताकि देश का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता को ज्यादा से ज्यादा जनता का समर्थन हासिल हो. राष्ट्रीय मतदाता दिवस इसलिए भी मनाया जाता है ताकि पूरे देश में मतदाताओं की संख्या बढ़े.यह मतदाताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया में प्रभावी भागीदारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी मनाया जाता है. इस दिवस पर भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रत्येक चुनाव में भागीदारी की शपथ लेनी चाहिए, क्योंकि देश के हर व्यक्ति का वोट ही देश के भावी भविष्य की नींव रखता है. इसलिए सशक्त राष्ट्र के निर्माण में मतदान का मतदाता भागीदार बनता है. यह भी पढ़ें : National Voters Day 2021: राष्ट्रीय मतदाता दिवस कब है? इस वर्ष का थीम क्या है? यहां जानिए सबकुछ
मतदाता दिवस का इतिहास
25 जनवरी 1950 में भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई थी. मतदाता दिवस को पहली बार साल 2011 में मनाया गया था ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. चुनाव आयोग का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं के नामांकन में वृद्धि करना है. पहले मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी, लेकिन चुनावों में युवाओं की बढ़ती सक्रियता और अन्य बातों को देखते हुए चुनाव आयोग ने साल 1988 में मतदाता की पात्रता की आयु घटाकर 18 वर्ष कर दिया था. 1998 के 60 वें संशोधन विधेयक ने भारत में मतदाता पात्रता की आयु कम कर दी.