Education Policy 2020: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने उठाए सवाल, कहा- 3 भाषा नीति से दुखी हूं, PM मोदी करें पुनर्विचार
सीएम पलानीस्वामी (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी (EK Palaniswami) ने सवाल खड़े किए है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) से इस पर पुनर्विचार करने का की अपील की है. हालांकि कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) की तारीफ करते हुए इसे केंद्र सरकार का सराहनीय कदम बताया है. जबकि कांग्रेस पार्टी और दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने नई एनईपी-2020 (NEP) का विरोध किया है.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई तीन भाषा नीति से हम दुखी हैं. दशकों से हमारा राज्य दो भाषा नीति का पालन कर रहा है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा. स्टालिन ने नई शिक्षा नीति में बहुमुखी प्रतिभा के विकास पर प्रधानमंत्री के दावे पर सवाल उठाया

पलानीस्वामी ने कहा “मैं प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध करता हूं कि वे तमिलनाडु के लोगों की सर्वसम्मत मांग पर ध्यान दें और तीन भाषाओं की नीति पर पुनर्विचार करें.” साथ ही उन्होंने मांग कि की राज्यों को अपनी नीति के अनुसार इस मुद्दे पर निर्णय लेने की अनुमति दी जाएं.

इससे पहले कांग्रेस ने एनईपी-2020 को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस ने कहा है कि यह नीति देश में डिजिटल विभाजन (डिजिटल डिवाइड) पैदा करेगी. नए एनईपी में मानव विकास और ज्ञान के विस्तार का मूल लक्ष्य नदारद है. जबकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृत की गई नई शिक्षा नीति को 'हाईली रेगुलेटेड और पुअरली फंडेड' करार दिया. दिल्ली सरकार का मानना है कि नई शिक्षा नीति में अत्यधिक नियमन और इन्स्पेक्शन की व्यवस्था है जबकि फंडिंग का ठोस कमिटमेंट नहीं किया गया है.

सिसोदिया ने कहा, "नई शिक्षा नीति पुरानी समझ और पुरानी परंपरा के बोझ से दबी हुई है. इसमें सोच तो नई है पर जिन सुधारों की बात की गई है, उन्हें कैसे हासिल किया जाए, इस पर यह चुप या भ्रमित है. इसमें जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने की बात कही गई है. यह बात 1966 से कोठारी कमीशन के समय से ही कही जा रही है. लेकिन यह लागू कैसे हो, इस पर पॉलिसी चुप है. इसको लेकर कोई कानून बनाने की बात नहीं कही गई है."’

इसके उलट, शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भारत की नई शिक्षा नीति को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बताया है. विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनो वायरस महामारी और वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद यह बहु-अनुशासनात्मक तरीकों को बढ़ावा देने वाली नीति है. एनईपी-2020 से भारत में कौशल को बढ़ावा मिलेगा, जिसका सीधा असर रोजगार पर नजर आएगा. (एजेंसी इनपुट के साथ)