PM Modi on Vijay Diwas 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'विजय दिवस' के अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए वीर जवानों के बलिदान को नमन किया. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "आज विजय दिवस पर, हम 1971 की ऐतिहासिक जीत में योगदान देने वाले वीर सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को सम्मानित करते हैं. उनकी निस्वार्थ समर्पण और अटूट संकल्प ने हमारे देश को गौरव दिलाया. यह दिन उनके असाधारण शौर्य और अडिग जज्बे को समर्पित है. उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा."
क्यों मनाया जाता है विजय दिवस?
'विजय दिवस' हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है. यह दिन भारत की 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत और बांग्लादेश की आजादी की याद में समर्पित है. इस युद्ध ने न केवल भारतीय सेना के साहस को दिखाया, बल्कि एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया.
'विजय दिवस' पर देशवासियों को शुभकामनाएं: PM मोदी
Today, on Vijay Diwas, we honour the courage and sacrifices of the brave soldiers who contributed to India’s historic victory in 1971. Their selfless dedication and unwavering resolve safeguarded our nation and brought glory to us. This day is a tribute to their extraordinary…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2024
'विजय दिवस' का महत्व
- बलिदान की याद: यह दिन भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को स्मरण करता है.
- आजादी का प्रतीक: यह बांग्लादेश को पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है.
- राष्ट्रीय गर्व: यह दिन देशवासियों में देशभक्ति की भावना जागृत करता है और हमें स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के महत्व की याद दिलाता है.
1971 के युद्ध का इतिहास
1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 13 दिनों तक चला. यह युद्ध तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में हो रहे मानवीय संकट के कारण हुआ. पाकिस्तानी सेना ने वहां की आम जनता के खिलाफ निर्दयी अभियान छेड़ रखा था. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी के संयुक्त बलों के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया था.
इतना ही नहीं, उनके साथ लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भी आत्मसमर्पण किया. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी सैन्य हार मानी जाती है. इसलिए 'विजय दिवस' पर हर भारतीय को अपनी सेना के पराक्रम पर गर्व करना चाहिए. यह दिन हमें एकजुट होकर देश की रक्षा और विकास के लिए काम करने की प्रेरणा देता है.