नागपुर: एक ओर जहां पूर्वी-उत्तर भारत में बाढ़ (Flood) से कोहराम मचा हुआ है तो वहीं देश के कई हिस्सों में सूखे और अकाल जैसी स्थिति बनी हुई है. कई जगहों पर लोग भीषण गर्मी और पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. बात करें महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई की तो मायानगरी और उसके आसपास के इलाकों में बारिश (Rainfall) से जन-जीवन प्रभावित हो रहा है, जबकि विदर्भ में मानसून की बेरूखी के चलते हर तरफ सूखे जैसे हालात बने हुए हैं. दरअसल, पूर्वी विदर्भ (East Vidarbha) में बारिश की कमी (Less Rainfall) के कारण धान उत्पादकों (Paddy growers) को पानी की किल्लत (Shortage of Water) से जूझना पड़ रहा है.
यहां के धान उत्पादकों का कहना है कि उन्होंने सीजन की पहली बारिश के दौरान धान बोया था, लेकिन उसके बाद मानसून (Monsoon) ने मुंह मोड लिया और बारिश नहीं हुई. किसानों का कहना है कि इस समस्या ने निपटने के लिए सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में उन्हें यह कहने में संकोच नहीं हो रहा है कि बारिश की कमी ने उन्हें मौत की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है.
बारिश न होने से परेशान धान उत्पादक-
Nagpur: Paddy growers of east Vidarbha face acute water shortage due to less rainfall,say,"We sowed paddy during first few rains of the season but there hasn't been rain after that.Govt not doing much to help farmers.Won't hesitate to say it has brought farmers to brink of death" pic.twitter.com/RehXDIiFZ6
— ANI (@ANI) July 24, 2019
यहां किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं, लेकिन जब बारिश इनसे खफा हो जाती है तो कर्ज के बोझ तले दबकर कई किसान मौत को गले लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. पूर्वी विदर्भ में कम बारिश होने की वजह से धान की फसलें प्रभावित हो रही हैं, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र: अकोला में सूखे की वजह से किसान दंपत्ति ने की आत्महत्या, कुएं में मिला शव
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में धान का उत्पादन सबसे ज्यादा गोंदिया और भंडारा जिले में होता है. इसके अलावा नागपुर जिले के रामटेक, उमरेड क्षेत्र में धान की पैदावार अधिक होती है. राज्य के गड़चिरौली, चंद्रपुर और वर्धा जिले में धान की फसल प्रमुखता से उगाई जाती है. ऐसे में मौसम की बेरूखी और सूखे की मार फसलों के साथ-साथ किसानों की मेहनत को भी बर्बाद कर देती है.