मुंबई: महाराष्ट्र में अब तक बीजेपी द्वारा सरकार बनाये जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तारीफ की जा रही थी. महाराष्ट्र हो या दिल्ली सभी तरफ से बधाइयां आ रही थी. लेकिन अब बीजेपी में ही अजित पवार (Ajit Pawar) के समर्थन से सरकार बनाने को लेकर विरोध शुरू हो गया है. बीजेपी के नेताओं में एकनाथ खडसे (BJP Leader Eknath Khadse) का एक दिन पहले मंगलवार को अल्पमत में आने के बाद गिरी बीजेपी की सरकार को लेकर उनका एक बयान आया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए अजित पवार के समर्थन से सरकार बनाने पर विरोध जताया है.
मीडिया के बातचीत में खडसे ने कहा कि अजित पवार के ऊपर महाराष्ट्र सिचाई घोटाले के साथ की अन्य कई आरोप हैं. ऐसे में उनको लेकर मेरी निजी राय है कि बीजेपी को उनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए. बता दें कि अजित पवार कांग्रेस-एनसीपी कार्यकाल में जब सिचाई मंत्री थे उनके ऊपर महाराष्ट्र में सिचाई घोटाले का आरोप लगा. जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. मौजूदा समय वे वह मामला उनके खिलाफ चल भी रहा है. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र में 80 साल के शरद पवार ने इस तरह पलटी बाजी, देवेंद्र फडणवीस समेत पूरी बीजेपी को किया चारों खाने चित
Senior BJP leader Eknath Khadse: My personal opinion is that BJP should not have taken support of Ajit Dada Pawar. He is an accused in the massive irrigation scam and faces many allegations, so we should not have allied with him pic.twitter.com/fjzhmikpDW
— ANI (@ANI) November 27, 2019
अजित पवार के समर्थन से बनी थी फडणवीस सरकार:
महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना, कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही थी. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करती कि 23 नवंबर की सुबह अजित पवार का समर्थन मिलने के बाद देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल के पास बहुमत का समर्थन पेश कर खुद मुख्यमंत्री तो वहीं अजित पवार को उपमुख्यमंत्री का शपथ दिलवाया था.
जानें कौन हैं एकनाथ खडसे
एकनाथ खडसे को बीजेपी में वरिष्ठ नेता के रूप में गिना जाता था. वे अब तक जलगांव जिले की मुक्तईनगर सीट से चुनाव लड़ते आ रहे थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत भी मिली थी. फडणवीस सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. लेकिन पुणे की एक जमीन घोटाले और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम संग कथित संपर्क के चलते इस्तीफा देना पड़ा. ये और बात है कि दोनों मामलों में उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सका और उन्हें क्लीन दे दी गई. इस बीच उनके बारे में कहा गया कि उनका देवेंद्र फडणवीस के साथ नहीं मुटाव के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. यह बात तब और पक्की हो गई जब 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें उनके सीट से टिकट ना देकर उनकी बेटी रोहिणी खडसे को टिकट दिया गया. जो चुनाव जीत नहीं सकी.