MP: मध्यप्रदेश भाजपा ने की 'एक राष्ट्र, एक संविधान' की वकालत

भोपाल, 17 दिसंबर : भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) तैयार करने और लागू करने के लिए एक समिति के गठन की मांग के लिए पिछले सप्ताह संसद के ऊपरी सदन में एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया. इससे इस मुद्दे पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश में जहां 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां सत्तारूढ़ बीजेपी इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी. चौहान ने लगभग डेढ़ महीने पहले पेसा अधिनियम लागू होने के साथ ही राज्य में यूसीसी की आवश्यकता पर जोर देना शुरू कर दिया है.

चौहान ने एक सप्ताह पहले बड़वानी जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था, मैं इस तर्क के पक्ष में हूं कि भारत में एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का समय आ गया है. किसी को एक से अधिक लोगों से शादी क्यों करनी चाहिए? एक देश में दो संविधान क्यों होने चाहिए? केवल एक ही होना चाहिए. चौहान ने कहा, समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए मैं मध्य प्रदेश में एक समिति बना रहा हूं. अगर किसी को एक ही पत्नी रखने का अधिकार है तो एक ही पत्नी होनी चाहिए. भाजपा डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का हवाला देकर यूसीसी पर जोर दे रही है. 1950 में इस विषय पर अम्बेडकर ने कहा था कि, राज्य अपने नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करेगा. यह भी पढ़े : Mumbai Bar Raid: बार पर छापे में तहखाने से बरामद की गई 17 महिलाएं, 25 लोग गिरफ्तार

इस मुद्दे पर आईएएनएस से एक्सक्लूसिव चर्चा में मध्य प्रदेश के गृह एवं कानून मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने समान नागरिक संहिता का सुझाव दिया था, लेकिन कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति ने सत्ता में रहते हुए इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. अब समय आ गया है जब हमें एक विधान, एक संविधान और एक राष्ट्र (एक विधान, एक संविधान और एक राष्ट्र) के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है. जब राज्य में चुनाव करीब आ रहे, तब कांग्रेस द्वारा भाजपा पर यूसीसी को मुद्दा बनाने का आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर, मिश्रा ने जवाब दिया, कांग्रेस ने हमेशा राजनीतिक लाभ के लिए तुष्टिकरण की रणनीति की है. भाजपा का स्पष्ट एजेंडा 'राष्ट्र पहले' है.

चाहे वह धारा 370 को निरस्त करने का निर्णय हो, तीन तलाक का खत्म करने का फैसला हो, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम या पीएम मोदी के नेतृत्व में उठाया गया कोई अन्य प्रगतिशील कदम, कांग्रेस को इसमें केवल राजनीति दिखी है, क्योंकि उन्होंने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति की है. मिश्रा ने मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को यूसीसी पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी. उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और मैं कमलनाथ से अपील करूंगा कि वह भी इस पर अपना रुख स्पष्ट करें.

कांग्रेस विधायक अशोक मटकोले ने आईएएनएस से कहा, बेहतर होगा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य में समान नागरिक संहिता जैसी व्यवस्था लागू करे. उन्होंने कहा, हमारा लोकतंत्र नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता को संजोने का अधिकार देता है और अगर कुछ भी गलत होता है, तो स्थिति को संभालने के लिए हमारे पास कानून है. आप लोगों को जागरूक कर सकते हैं कि उन्हें एक से अधिक पत्नियां नहीं रखनी चाहिए, लेकिन आप उन्हें लागू नहीं कर सकते.