आठ साल से विदेश में फंसे बेटे के पासपोर्ट के लिए मां उच्च न्यायाल पहुंची, केंद्र को नोटिस जारी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने वैध यात्रा दस्तावेज नहीं होने के कारण पिछले आठ साल से विदेश में फंसे बेटे को पासपोर्ट मुहैया कराने के लिए सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है.
नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने वैध यात्रा दस्तावेज नहीं होने के कारण पिछले आठ साल से विदेश में फंसे बेटे को पासपोर्ट मुहैया कराने के लिए सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है. न्यायमूर्ति नवीन चावला (Navin Chawla) ने विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है. याचिका में दावा किया गया है कि उनके बेटे का पासपोर्ट इटली में क्षतिग्रस्त हो गया था और उसने 2012 में पासपोर्ट की दूसरी प्रति (डुप्लिकेट) के लिए आवेदन किया था जो उसे जारी नहीं किया गया है.
याचिका में कहा गया है कि वैध पासपोर्ट के बिना इटली में काम मिलने में दिक्कत हो रही थी. इसलिए वह पेरिस चला गया. महिला ने अपनी याचिका में कहा कि इटली में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया था क्योंकि यहां उसके खिलाफ दहेज का मामला लंबित था.
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महिला ने कहा है कि उन्हें, उनके पति और उनके बेटे को 2009 में उनकी बहू द्वारा दहेज के मामले में फंसाया गया था.
याचिका के अनुसार मामले के निलंबित रहने के दौरान उनके पति का निधन हो गया और उनके बेटे को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था क्योंकि वैध पासपोर्ट नहीं होने के कारण वह भारत वापस नहीं आ सका.
याचिका में कहा गया है कि 2016 में महिला को इस मामले में बरी कर दिया गया था और इस बीच बहू ने 2011 में तलाक प्राप्त कर लिया तथा फिर से शादी कर ली.
महिला ने कहा कि तलाक एक पक्षीय रूप से दे दिया गया क्योंकि उनका बेटा अपनी पैरवी करने के लिए भारत नहीं आ सका था. उच्च न्यायालय में इस मामले में अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी.
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