नई दिल्ली: मोदी सरनेम टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने मानहानि मामले में गुजरात राज्य को भी नोटिस जारी किया. पूर्णेश ने नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से 21 दिन का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने उन्हें 10 दिन की मोहलत दी. मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी. ममता बनर्जी होंगी विपक्ष की प्रधानमंत्री उम्मीदवार? TMC सांसद ने कहा कांग्रेस तो रेस में ही नहीं.
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. मानहानि का मामला 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान से जुड़ा है, जब राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, "सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है."
हाईकोर्ट ने बरकरार रखी थी सजा
गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना एक अपवाद है, नियम नहीं. जनप्रतिनिधियों को साफ छवि का होना चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा था, 'राहुल गांधी के खिलाफ लगभग 10 आपराधिक मामले लंबित हैं. वीर सावरकर के पोते ने भी उनके खिलाफ मामला दायर किया है. राहुल गांधी अस्तित्वहीन आधार पर राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं. सजा पर रोक न लगाना राहुल गांधी के साथ अन्याय नहीं होगा.'
क्या है पूरा मामला?
राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ''नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?'' राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था.
सेशन कोर्ट ने सुनाई दो साल की सजा राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के मामले में चार साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी .इसके बाद जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे.