शांति के पैगाम के साथ यूक्रेन यात्रा पर मोदी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड की दो दिनों की यात्रा के बाद यूक्रेन के लिए रवाना हो गए हैं. शुक्रवार को उनकी मुलाकात राष्ट्रपति वोलोदिमिर जलेंस्की से होगी.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कीव में राष्ट्रपति जलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं. मोदी यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा पर हैं, जिसमें उनसे रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए समझौते पर जोर देने की उम्मीद है.

रूस के हमले के ढाई साल बाद और रूसी क्षेत्र में यूक्रेन द्वारा बड़े पैमाने पर जवाबी हमले के कुछ सप्ताह बाद मोदी खुद को संभावित शांतिदूत के रूप में पेश कर रहे हैं. मोदी ने अपनी यात्रा से पहले कहा, "किसी भी समस्या का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं किया जा सकता." उन्होंने कहा कि भारत "जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली के लिए वार्ता और कूटनीति का समर्थन करता है."

पहली बार यूक्रेन जाएंगे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी ने गुरुवार को वारसॉ में पोलैंड के प्रधानमंत्री डॉनल्‍ड टुस्क के साथ बातचीत के बाद यह टिप्पणी की.

रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन कैसे बैठाएंगे मोदी

वारसॉ की अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रेन से यूक्रेन की राजधानी कीव जा रहे हैं और इस यात्रा में उन्हें लगभग 10 घंटे लगेंगे. पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा मॉस्को की यात्रा के छह सप्ताह बाद हो रही है, जहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी.

हाल ही में यूक्रेनी सेना ने एक बड़ी सैन्य कार्रवाई में रूस के कुर्स्क प्रांत के एक अहम शहर पर कब्जा कर लिया था. अब ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक सफलता पहले से कहीं अधिक मुश्किल दिखाई दे रही है.

यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या मोदी खुद एक प्रभावी डीलमेकर हो सकते हैं, क्योंकि यूक्रेन में कई लोग उन्हें रूसी राष्ट्रपति के बहुत करीबी के रूप में देखते हैं. मोदी ने जब जुलाई में रूस का दौरा किया था तो उन्होंने पुतिन को गले लगाया जिसकी आलोचना जलेंस्की ने की थी.

मोदी-जलेंस्की के बीच क्या होगी बात

मोदी ने कहा कि वह जलेंस्की के साथ "यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर अपने विचार साझा करने" की योजना बना रहे हैं. साथ ही "भारत-यूक्रेन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने" पर भी वह चर्चा करेंगे.

यूक्रेन रवाना होने से पहले वह पोलैंड में थे. मोदी ने यात्रा से पहले सोशल मीडिया पर लिखा, "एक दोस्त और पार्टनर के रूप में हम क्षेत्र में शांति और स्थिरता की जल्दी वापसी की उम्मीद करते हैं."

वहीं जलेंस्की ने कहा है कि मोदी के साथ बैठक के दौरान "कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है."

यूक्रेनी राष्ट्रपति कार्यालय में सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि मोदी की कीव यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि नई दिल्ली का मॉस्को पर "वास्तव में एक निश्चित प्रभाव है."

हमले की निंदा करने से बचता रहा भारत

भारत ने रूस के 2022 में यूक्रेन पर हमले की स्पष्ट निंदा करने से परहेज किया है और क्रेमलिन की आलोचना करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से दूर रहा है. भारत हमेशा से इस बात पर जोर देता आया है कि दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने का प्रयास करें.

यूक्रेन पर मॉस्को द्वारा हमले के मद्देनजर रूसी कच्चे तेल के आयात में वृद्धि के लिए भारत को पश्चिम में बहुत आलोचना झेलनी पड़ी. दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक ने सस्ते कच्चे तेल के कारण 2022 में रूस से डिलीवरी में दस गुना वृद्धि देखी और पिछले साल फिर से इसमें दोगुनी वृद्धि देखने को मिली. इसी दो साल की अवधि में रूस से भारत का कोयला आयात तीन गुना बढ़ गया.

रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारत ने अरबों डॉलर बचाए हैं, रूसी कच्चा तेल खरीदने पर उसकी पश्चिम में भी आलोचना हुई.

पोडोल्याक कहते हैं, "हमारे लिए ऐसे देशों के साथ प्रभावी ढंग से संबंध बनाना बहुत जरूरी है, ताकि उन्हें समझाया जा सके कि युद्ध का सही अंत क्या है और यह उनके हित में भी है."

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)