हमारी धरती पर 70% से ज्यादा जल उपलब्ध है पर उसमें पीने योग्य बहुत ही कम है. जल, जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है और यह पर्याप्त मात्रा में महासागरों में उपलब्ध है. महासागरीय जल को पीने योग्य बनाने के लिए उसमें उपलब्ध लवण को अलग करने आवश्यकता होती है, जिसके लिए विभिन्न तकनीक प्रयोग में लाई जाती रही हैं. यह भी पढ़े: सिंधु जल को रोकने के लिए भारत करेगा इन तीन परियोजनाओं पर काम तेज, दो बांधों का होगा निर्माण
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत चेन्नई स्थित राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में समुद्री तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant) स्थापित किया जा रहा है. भारत सरकार की यह नई पहल महासागर आधारित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास है.
आखिर क्या है समुद्री तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र
यह नया संयंत्र समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए जिस विलवणीकरण (Desalination) संयंत्र/मशीन का उपयोग होता है, उसको ऊर्जा देने का कार्य करेगा। इस महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र की क्षमता 65 किलोवाट है, जिसकी सहायता से प्रतिदिन एक लाख लीटर समुद्री जल को पीने योग्य बनाया जा सकेगा.
डीप ओशन मिशन पर फोकस
केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित डीप ओशन मिशन के अंतर्गत आगामी वर्षों में गहरे समुद्र की जैव विविधता के अन्वेषण एवं संरक्षण के लिए जलवायु पर परामर्श सेवाओं का विकास, अंडरवॉटर रोबोटिक्स, गहरे समुद्र में खनन पर जोर दिया जा रहा है. 6000 मीटर की समुद्री गहराई हेतु प्रोटोटाइप मानव युक्त सबमर्सिबल का डिजाइन एवं विकास, जिसमें अंडरवॉटर वाहन एवं अंडरवॉटर रोबोटिक्स के लिए तकनीकें भी इसमें शामिल हैं.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि समुद्री स्वच्छता की दिशा में स्वच्छता अभियान भी चल ही रहा है, जो 17 सितंबर को अपनी पूर्णता पर पहुंचेगा। समुद्री परिवेश इससे भी लाभान्वित होगा.