नागपुर: कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) का तीसरा चरण भी अब खत्म होने को है, बावजूद इसके न तो कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामलों में कोई गिरावट आ रही है और न ही प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) के पलायन (Migration) का सिलसिला थम रहा है. प्रवासी मजदूरों को उनके राज्यों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों की व्यवस्था किए जाने के बावजूद पैदल चलकर पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की संख्या कम नहीं हो रही है. अब भी राजधानी दिल्ली से लेकर मुंबई और अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके अपने घरों की ओर जाने को मजबूर हैं. कई मजदूर अपने परिवार और सामान के साथ पैदल निकले हैं तो कई रिक्शा, साइकिल जैसे साधनों से अपने घरों की ओर जा रहे हैं.
महाराष्ट्र (Mharashtra) के सोलापुर (Solapur) से भी कुछ मजदूर साइकिल (Cycle) पर सवार होकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में स्थित अपने घरों की ओर चल पड़े हैं. करीब 800 किलोमीटर का सफर तय करके ये मजदूर नागपुर (Nagpur) तक पहुंच गए हैं, लेकिन अभी उत्तर प्रदेश पहुंचने के लिए और 800 किलोमीटर का सफर तय करना बाकी है.
पलायन जारी-
अगर सरकार क्वारंटीन करती है तो हम होने को तैयार हैं, हम बस अपने घर पहुंचना चाहते हैं। हमने योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर जाने के लिए आवेदन किया था लेकिन कोई जवाब नहीं आया: एक प्रवासी मजदूर अनिल कुमार यादव https://t.co/oK1PunIbgT pic.twitter.com/KFBXXYJ89Y
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 16, 2020
इन प्रवासी मजदूरों का कहना है कि अगर सरकार हमें क्वारेंटीन करती है तो हम इसके लिए तैयार हैं. बस हम हर हाल में अपने घर पहुंचना चाहते हैं. इन लोगों का कहना है कि हमने योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर घर वापसी के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए हम अपनी साइकिल के जरिए ही निकल पड़े हैं. यह भी पढ़ें: पलायन जारी: दिल्ली से निकले कई प्रवासी मजदूरों को गाजियाबाद में पुलिस ने रोका, यूपी-बिहार के मजदूर बोले- हमारे पास नहीं बची एक भी पाई, किसी तरह हमें पहुंचना होगा घर
गौरतलब है कि 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद से लगातार देश के विभिन्न राज्यों से उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. अब तक कई मजदूर पैदल चलकर अपने घरों तक पहुंचने में कामयाब भी हुए हैं, जबकि कई मजदूरों का सफर जारी है. मजदूरों के पलायन के दौरान कई मजदूर अलग-अलग हादसों के शिकार भी हुए हैं, बावजूद इसके हर हाल में अपने घरों तक पहुंचना इन मजदूरों का सबसे बड़ा मकसद है.