भारत अब कनाडा पर सख्त होता जा रहा है. भारत ने जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के नए आरोपों पर कनाडा के उच्चायुक्त (Canadian High Commissioner) को समन भेज कर तलब किया. विदेश मंत्रालय ने बताया कि कनाडा के प्रभारी राजदूत को तलब कर बताया गया कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को निराधार तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है. भारत सरकार ने एक सख्त बयान जारी कर कनाडा के आरोपों को "तथ्यहीन और राजनीतिक एजेंडा" बताया. कनाडा के डिप्टी उच्चायुक्त स्टुअर्ट व्हीलर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने तलब किया ताकि ओटावा की इस कार्रवाई पर स्पष्टीकरण मांगा जा सके. बता दें कि सोमवार को कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को निज्जर हत्या मामले में 'संदिग्ध व्यक्ति' के रूप में नामित किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.
भारत की तीखी प्रतिक्रिया
कनाडा के इस कदम के बाद भारत ने कड़ा जवाब देते हुए कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर आरोप लगाया कि वे "वोट बैंक की राजनीति" कर रहे हैं और कनाडाई धरती पर अलगाववादी तत्वों से निपटने में असफल रहे हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "कनाडा सरकार ने भारत को एक भी सबूत साझा नहीं किया है जो भारतीय उच्चायुक्त या अन्य राजनयिकों की निज्जर की हत्या में किसी भी तरह की संलिप्तता को साबित करता हो, जबकि हमने कई बार अनुरोध किया है. इस आरोप का उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ उठाना है."
आरोप और विवाद का इतिहास
सितंबर 2023 में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों का हाथ है. निज्जर की हत्या कनाडा में हुई थी, और ट्रूडो ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था.
भारत ने इन आरोपों को "प्रेरित और निराधार" बताते हुए खारिज कर दिया था. इस घटना के बाद से ही भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गिरावट आई है.
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
यह मामला भारत और कनाडा के पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और बिगाड़ने वाला साबित हो रहा है. भारत ने पहले भी कनाडा पर आरोप लगाया था कि वह खालिस्तानी आतंकवादियों और अलगाववादी संगठनों को संरक्षण दे रहा है. ट्रूडो की सरकार पर यह आरोप भी लगाया गया है कि वे देश में रहने वाले खालिस्तानी समर्थक समूहों का समर्थन करके अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं.
भारत और कनाडा के बीच यह ताजा विवाद न सिर्फ राजनयिक संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर दोनों देशों की छवि को भी चुनौती दे रहा है.