देहरादून: कश्मीर में पत्थरबाजों के हमले में शहीद हुए गंगोलीहाट के रहने वाले शहीद जवान राजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके गांव लाया गया. गरीबी के बीच पले बढ़े शहीद बेटे के पिता चंद्र सिंह ने बेटे के शव को तिरंगे में लपेटा देख फफक-फफक कर रोने लगे. वहीं शहीद जवान का पार्थिव शरीर गांव वाले भी देख अपने आंखों के आंसू नहीं रोक पाए. मानो राजेंद्र के शहीद होने को लेकर पूरा गांव रो रहा था.
जवान शहीद राजेंद्र सिंह पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट के रहने वाले हैं. उनके पिता किसी तरह से मजदूरी करके अपने इकलौते बेटे को किसी तरह से पढ़ा लिखा कर फौज में भर्ती करवाया था. पिता को बेटे से काफी उम्मीदें थी कि बेटे की नौकरी लग जाने के बाद उसके परिवार के सारे दुःख दर्द दूर हो जाएंगे. लेकिन शायद उनके किस्मत में ऐसा नहीं लिखा था और दो दिन पहले शुक्रवार को पेट्रोलिंग के दौरान कश्मीर में पत्थरबाजों से लोहा लेते हुए घायल हो गए थे. जिनका उपचार के दौरान मौत हो गई. जिसके बाद जिनके पार्थिव शरीर को शनिवार को सेना के विमान द्वारा पिथौरागढ़ सेना मुख्यालय लाया गया. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सेना के विशेष गाड़ी से उनके घर लाया गया. यह भी पढ़े: जम्मू-कश्मीर: सोपोर में सुरक्षाबलों ने शुरू किया बड़ा सर्च ऑपरेशन, कई आतंकियों के छिपे होने की आशंका
खबर सुनते ही परिवार पर टूट पड़ा पहाड़
इसकी सूचना चंद्र सिंह और उनके परिवार को किसी तरह से लगी. खबर लगने के बाद मानो परिवार वालों पर पहाडा टूट पड़ा है. पहले तो उन्होंने अपने जिगर के शहीद होने की बात मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे. बाद जब उन्हें सेना की तरह से जानाकरी दी गई. इसके बाद वे फफक- फफककर रोने लगे. शनिवार को जब बेटे का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटा हुआ घर पहुंचा उस समय मानो उनका और उनके परिवार का रो-रो कर बुरा हाल हो जा रहा था. परिवार वालों का कहना है कि राजेंद्र ने परिवार वालों को फोन करके बताया था कि वह इस दिवाली की छुट्टी पर घर आने वाला है. घर वाले छुट्टी पर घर आने का इंतजार ही कर रहे थे कि शुक्रवार को परिवार को एक मनहूस खबर राजेंद्र के शहीद होने की खबर मिली. यह भी पढ़े: जम्मू-कश्मीर: भारतीय सेना ने घुसपैठ कर रहे 5 आतंकियों को किया ढेर, एक जवान शहीद
बता दें कि शहीद राजेंद्र सिंह फौज में जाट रेजीमेंट (टीए) में सिपाही थे वे साल 2015 में भर्ती हुए थे. शहीद के घर में पिता चंद्र सिंह, माता मोहनी देवी के साथ उनकी तीन बहने है. उनके पिता पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में घोड़े से सामान ढो कर बेटे को पढाया. शनिवार को उनके पैत्रिक गांव उनका पार्थिक शरीर पहुंचने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और सेना के जवानों ने उन्हें सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया.