नई दिल्ली, 29 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात क्रार्यक्रम में फिल्म जगत के दिग्गजों को याद किया. गायक रफी से लेकर ग्रेट शो मैन राज कपूर, तपन सिन्हा और दक्षिण के अक्किनेनी नागेश्वर राव की प्रशंसा की. इसके साथ ही पीएम मोदी ने बस्तर के अनूठे ओलंपिक का भी जिक्र किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' के 117वें एपिसोड में कहा, "साल 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं. इन हस्तियों ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है. राज कपूर जी ने फिल्मों के जरिए दुनिया को भारत की सॉफ्ट पावर से परिचित कराया." यह भी पढे: बिहार: पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का निधन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया
प्रधानमंत्री मोदी ने रफी साहब का भी जिक्र किया. बोले, रफी साहब की आवाज में वो जादू था, जो हर दिल को छू जाता था. उनकी आवाज अद्भुत थी. भक्ति गीत हों या रोमांटिक गाने, दुख भरे गाने, उन्होंने अपनी आवाज से हर भावना को जीवंत कर दिया. एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा पीढ़ी उनके गीतों को उसी जुनून के साथ सुनती है. यह कालातीत कला की अलग पहचान है.
वहीं अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया. तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नया नजरिया दिया. उनकी फिल्में हमेशा सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश देती रहीं. इन हस्तियों का जीवन हमारी पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए प्रेरणास्रोत है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है. दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले महीने के आखिर में फिजी में भारत सरकार के सहयोग से तमिल शिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ. बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फिजी में तमिल के प्रशिक्षित शिक्षक इस भाषा को सिखा रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "बस्तर में एक अनूठा ओलंपिक शुरू हुआ है. पहली बार हुए बस्तर ओलंपिक से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है. मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर ओलंपिक का सपना साकार हुआ है. आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है. इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है.