
इंफाल: मणिपुर में बीते 20 महीनों से जारी अशांति के बीच राज्यपाल अजय भल्ला ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने सभी समुदायों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सात दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने की अपील की है. राज्यपाल ने यह भी आश्वासन दिया है कि जो लोग इस अवधि में हथियार लौटाएंगे, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
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गुरुवार को जारी एक बयान में राज्यपाल अजय भल्ला ने कहा कि मणिपुर के लोग, चाहे वे घाटी में हों या पहाड़ों में, पिछले 20 महीनों से भारी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. जातीय संघर्षों और हिंसा के कारण सामाजिक सद्भाव प्रभावित हुआ है, और अब समय आ गया है कि राज्य में शांति बहाल की जाए.
उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से अपील करते हुए कहा "मैं सभी समुदायों, विशेष रूप से घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं से ईमानदारी से अनुरोध करता हूं कि वे आगे आएं और लूटे गए तथा अवैध रूप से रखे गए हथियारों और गोला-बारूद को निकटतम पुलिस स्टेशन में जमा करें."
मणिपुर में क्यों बढ़ी हथियारों की समस्या?
जातीय हिंसा के कारण कई बार पुलिस और सुरक्षाबलों के हथियार डिपो से हथियार लूटे गए. आम नागरिकों के पास गैर-कानूनी हथियारों की संख्या बढ़ गई. इससे हिंसा और संघर्ष को और बढ़ावा मिला, जिससे स्थिति और बिगड़ गई.
सरकार का इरादा – ‘हथियार लौटाएं, शांति पाएं’
राज्यपाल अजय भल्ला के इस फैसले को शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. यह अपील सरकार की ‘हथियार रखो, अमन चुनो’ नीति का हिस्सा है, जिसके तहत लोगों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
अब यह देखना होगा कि लोग इस अपील को कितनी गंभीरता से लेते हैं और आने वाले सात दिनों में कितने हथियार लौटाए जाते हैं.