मंदसौर लोकसभा सीट: बीजेपी को पस्त करने के लिए कांग्रेस ने मीनाक्षी नटराजन पर फिर लगाया दांव
लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में अधिक से अधिक सीटें जितने के लिए सभी राजनीतिक दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है. इस चरण में सात राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश की 59 सीटों के लिये रविवार (19 मई) को वोट डाले जाएंगे.
भोपाल: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के सातवें और अंतिम चरण में अधिक से अधिक सीटें जितने के लिए सभी राजनीतिक दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है. इस चरण में सात राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश की 59 सीटों के लिये रविवार (19 मई) को वोट डाले जाएंगे. इसमें मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की आठ सीटों पर मतदान होगा. इसमें से एक मंदसौर (Mandsaur) संसदीय क्षेत्र है. वैसे तो मंदसौर बीजेपी का मजबूत गढ़ समझा जाता है. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद सूबे की सत्ता बीजेपी के हाथों से जाने के कारण अबकी बार के नतीजे कुछ अलग होने की उम्मीद जताई जा रही है.
मंदसौर लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1957 में चुनाव हुआ. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है. इस बात की गवाही यहां का पुराना राजनीतिक इतिहास भी देता है. मालवा क्षेत्र की मंदसौर लोकसभा सीट पर अब तक 15 लोकसभा चुनाव हो चुके है जिसमें से सात बार बीजेपी तो चार बार कांग्रेस जीत चुकी है.
मंदसौर का 2014 में हाल-
सुधीर गुप्ता (बीजेपी)- 6 लाख 98 हजार 335 वोट
मीनाक्षी नटराजन (कांग्रेस)- 3 लाख 94 हजार 686 वोट
बीजेपी ने मध्य प्रदेश की मंदसौर लोकसभा सीट से अपने मौजूदा सांसद सुधीर गुप्ता को फिर से मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने एक बार फिर मीनाक्षी नटराजन पर ही भरोसा जताया है. गौरतलब हो कि मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए इस बार जीत की राह साल 2014 जितनी आसान नहीं होने वाली है. सूबे में बीजेपी को अपनी सभी 27 सीटों को बचाने में मुश्किलें आनी तय है. नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता पर 15 साल से काबिज बीजेपी को पटकनी देकर सरकार बनाई. निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि इस चुनाव में 12 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को बीजेपी प्रत्याशियों से अधिक मत मिले थे.