महाराष्ट्र सरकार ने राज्य वक्फ बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये के तत्काल आवंटन की घोषणा की है. यह कदम चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) द्वारा वक्फ भूमि के प्रबंधन को लेकर उठाए गए सवालों के बाद उठाया गया है. अल्पसंख्यक विभाग द्वारा जारी किए गए गवर्नमेंट रेजोल्यूशन (GR) में वित्तीय वर्ष 24-25 के लिए इस फंड को मंजूरी दी गई है.
वक्फ बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट
महाराष्ट्र सरकार ने वक्फ बोर्ड की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए इस फंड को मंजूरी दी है. सरकार का मानना है कि वक्फ भूमि के बेहतर प्रबंधन के लिए इस फंड का उपयोग किया जाएगा, जिससे बोर्ड की कार्यप्रणाली और बुनियादी ढांचा मजबूत हो सके. इस कदम का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाना है.
VHP का विरोध और महायुति सरकार की चिंता
चुनाव से पहले, जून में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने औरंगाबाद में वक्फ बोर्ड को 2 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की थी. शेष राशि बाद में जारी करने का वादा किया गया था. इस निर्णय पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने विरोध जताया और इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया. वीएचपी के कोंकण डिवीजन सचिव मोहन सालेकर ने कहा कि महायुति सरकार वही काम कर रही है, जो कांग्रेस सरकार ने कभी नहीं किया. उनका आरोप था कि यह कदम हिंदू समुदाय के खिलाफ है और अगर इसे वापस नहीं लिया गया, तो सरकार को आगामी चुनावों में हिंदू वोटों का नुकसान हो सकता है.
वक्फ बोर्ड के लिए इस वित्तीय आवंटन से राज्य सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि इस कदम का राजनीतिक लाभ भी है. अब यह देखना होगा कि सरकार इस फैसले को लेकर जनता के बीच किस तरह का समर्थन प्राप्त करती है, खासकर उन समुदायों से जो इसे तुष्टिकरण की राजनीति मानते हैं.