Bharat Bandh: 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान, मुंबई में बस, टैक्सी, ऑटो सामान्य तरीके से चलाई जाएंगी
किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें चरण की बैठक के बाद भी कोई हल नहीं निकला है. किसान अपनी मांग को लेकर अब भी अड़े हैं और आंदोलन (Farmers Protest) जारी रखा है. इस बीच किसानों के साथ केंद्र सरकार एक बार फिर से 9 दिसंबर को बातचीत करने वाली है. लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में मंगलवार आठ दिसंबर को भारत बंद (Bharat Bandh) का ऐलान किया किया गया है. जहां 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद' का दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने अपना समर्थन दिया है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑटो टैक्सी को बंद करने का फैसला लिया है. वहीं, मुंबई में टैक्सी और रिक्शा को न बंद करने का फैसला लिया गया है.
मुंबई:- किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें चरण की बैठक के बाद भी कोई हल नहीं निकला है. किसान अपनी मांग को लेकर अब भी अड़े हैं और आंदोलन (Farmers Protest) जारी रखा है. इस बीच किसानों के साथ केंद्र सरकार एक बार फिर से 9 दिसंबर को बातचीत करने वाली है. लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में मंगलवार आठ दिसंबर को भारत बंद (Bharat Bandh) का ऐलान किया किया गया है. जहां 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद' का दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने अपना समर्थन दिया है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑटो टैक्सी को बंद करने का फैसला लिया है. वहीं, मुंबई में टैक्सी और रिक्शा को न बंद करने का फैसला लिया गया है.
दरअसल महाराष्ट्र में मुंबई के टैक्सी यूनियन ने 'भारत बंद' के समर्थन में कल हड़ताल का आह्वान नहीं किया है. जिसके कारण मुंबईकरों को किसी प्रकार के दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा और टैक्सी और ऑटो सामान्य रूप से चालू रहेंगे. इसके साथ मुंबई की बेस्ट (BEST) की बसें भी रोजमर्रा की तरह सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी. किसान आंदोलन को देश के कई राज्यों में समर्थन मिला है. वहीं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप, बसपा समेत कई दलों ने भारत बंद के फैसले का समर्थन किया है. Bharat Bandh on 8 December: किसानों के 'भारत बंद' को शिवसेना का भी समर्थन, कहा- अन्नदाताओं के आंदोलन में स्वेच्छा से सभी हो शामिल.
गौरतलब हो कि किसान नेताओं और केंद्र के बीच छठे दौर की अगली बैठक 9 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली है, जबकि किसान सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. हालांकि सरकार कानून में संशोधन करने को लेकर सहमत हो गई है. चूंकि सरकार अब तक किसानों की मांगों के संतोषजनक समाधान नहीं कर पाई है, इसलिए किसानों ने तीनों कानूनों को रद्द करने के लिए आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.