Maharashtra Legislature: महाराष्‍ट्र्र विधानमंडल, तूफानी मानसून सत्र के लिए उमड़ रहे नाराज बादल
Photo Credits: ANI

मुंबई, 16 जुलाई: राज्य में बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों के बीच सभी राजनीतिक दल सत्‍़तारूढ़ शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अलग हुई), और विपक्षी महा विकास अघाड़ी कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी सोमवार (17 जुलाई) से महाराष्ट्र विधानमंडल के हंगामेदार मानसून सत्र के लिए तैयार हैं. यह भी पढ़े: Maharashtra Legislative Assembly: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर करेंगे विपक्ष के नेता पर फैसला

हालांकि एनसीपी में विभाजन के बाद विपक्ष की ताकत काफी कम हो गई है, लेकिन उसे  4 अगस्त तक चलने वाले तीन सप्ताह के सत्र के दौरान सरकार को मुश्किल में डालने का भरोसा है राज्य में पहली बार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ दो डिप्टी सीएम, देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार होंगे

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ गठबंधन, खुद सीएम शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता पर आने वाले फैसले के खतरे में दिख रही है, जो फिर से राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता हैअयोग्यता मामले पर निर्णय लेने में देरी पर आक्रामक शिवसेना (यूबीटी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बाद अध्यक्ष राहुल नार्वेकर इस मुद्दे पर अपना फैसला देने के लिए समय की तलाश में हैं.

शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के अलावा एनसीपी (अजित पवार) और एनसीपी (शरद पवार) के प्रतिद्वंद्वी गुटों के विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर भी स्पीकर का रुख गंभीर रहेगा 'राजनीतिक रूप से स्थिर' राज्य के रूप में महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा को 2019 के बाद कई घातक झटके लगे, और राज्य ने 3 सीएम, 3 डिप्टी सीएम, दो स्पीकर और संभवतः विपक्ष के तीसरे नेता के 3 शपथ समारोह देखे हैं.

राज्य के हतप्रभ लोगों के लिए, अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद से स्थिति विचित्र रही है, इसमें विद्रोह, गठबंधन टूटना, नए क्रमपरिवर्तन और संयोजन, प्रतिद्वंद्वी विचारधाराओं के साथ अजीब साथी आदि सामने आ रहे हैं नतीजतन, शासक विपक्ष बन गए, विपक्षी दल सत्ता में वापस आ गए, दो प्रमुख दल सत्ता पक्ष और विपक्ष में एक-एक गुट के साथ विभाजित हो गए, इससे पूरा राजनीतिक ढांचा अपरिचित और अपरिभाषित हो गया.

मुश्किल से आठ महीने दूर लोकसभा चुनाव और 15 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव - और दो महत्वपूर्ण पार्टियों (शिवसेना और एनसीपी) में विद्रोह (जून 2022 और जुलाई 2023) के साथ राज्‍य की राजनीति का परिदृश्य अच्छा नहीं है.

कांग्रेस अब बीजेपी के बाद चौथे से दूसरे स्थान पर पहुंच गई है, और अब विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद पर दावा करने की उम्मीद है, जिसे पहले एनसीपी (अजित पवार के बाहर निकलने के बाद) हासिल करने की उम्मीद कर रही थी.

विधान परिषद में, शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे विपक्ष के नेता हैं, लेकिन इस महीने, उपसभापति डॉ. नीलम गोरे (शिवसेना-यूबीटी की) सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना में शामिल हो गईं, और फिर से कांग्रेस उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष के लिए किस्मत आजमा सकती है.

विधान परिषद के सभापति का पद रामराजे नाइक-निंबालकर (एनसीपी) के कार्यकाल की समाप्ति के बाद खाली है वह अध्यक्ष नार्वेकर के ससुर हैं एमवीए भविष्यवाणी कर रही है कि अजीत पवार के प्रवेश के बाद सीएम शिंदे को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, हालांकि सत्तारूढ़ सहयोगियों ने इन दावों का मजाक उड़ाया है.

जहां तक अन्य गैर-राजनीतिक मुद्दों का सवाल है, विपक्षी एमवीए पिछले कुछ महीनों में राज्य में हुई सांप्रदायिक झड़पों, महिलाओं पर हाल के हमलों के साथ कानून-व्यवस्था की स्थिति, किसानों की समस्याओं पर सरकार को घेरेगी.