महाराष्ट्र के बुलढाणा (Buldhana) में एक शख्स ने धार्मिक मान्यताओं को एक तरफ रखकर और मानवता को सबसे पहले रखते हुए सांप्रदायिक सौहार्द (Communal Harmony) की मिसाल पेश की है. दरअसल, बुलढाणा में एक प्रभागीय वन अधिकारी संजय एन माली (Sanjay N Mali) ने रमजान के पवित्र महीने के दौरान अपने ड्राइवर जफर की जगह 'रोजा' (उपवास) रख एक अनोखी मिसाल कायम की है. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संजय एन माली ने कहा कि 6 मई को, मैंने उससे पूछा कि क्या वह रोजा रखेगा? तो उसने कहा कि ड्यूटी और अस्वस्थ होने के कारण वह रोजा नहीं रख पाएगा. इस पर संजय एन माली ने कहा कि मैं तुम्हारी जगह रोजा रखूंगा.
संजय एन माली का मानना है कि हर व्यक्ति को सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए अपना काम करना चाहिए. इस अभ्यास को 'सांप्रदायिक सौहार्द का आदर्श उदाहरण' कहते हुए उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हर धर्म हमें कुछ अच्छा सिखाता है. हमें सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ाना चाहिए. हम पहले मानवता को देखते हैं और उसके बाद धर्म. संजय एन माली ने कहा कि रोजा रखने के बाद मैं काफी फ्रेश महसूस कर रहा हूं. यह भी पढ़ें- अयोध्या के श्री सीताराम मंदिर में पेश की गई हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल, इफ्तार पार्टी का हुआ आयोजन
Maharashtra: Sanjay N Mali, Divisional Forest Officer in Buldhana, is keeping 'roza' (fasting) in place of his driver Zafar; says, "on 6 May I asked him if he'll keep roza. He said he won't as his health doesn't support him because of duty. So I told him I'll do it in your place" pic.twitter.com/omNMg4B3yg
— ANI (@ANI) May 31, 2019
दरअसल, रमजान महीने के दौरान रोजेदार लगभग 30 दिनों तक कठिन उपवास करते हैं और सुबह से शाम तक भोजन या पानी का सेवन नहीं करते हैं. वे सेहरी (सुबह का खाना) खाते हैं और शाम को इफ्तार के साथ दिन भर का उपवास तोड़ते हैं. ईद-उल-फितर में रमजान के उपवास के महीने की समाप्ति होती है.