महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 : चुनाव प्रचार के मैदान में उतरे आदित्य ठाकरे, पोस्टर लगाकर पूछा 'केम छो' वर्ली
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में जीत की उम्मीदों के साथ सभी दल कूद पड़े हैं. एक तरफ बीजेपी और शिवसेना साथ में हैं तो दूसरी एनसीपी-कांग्रेस का गठबंधन है, वहीं अन्य पार्टियां भी अपना मोर्चा खोल मैदान में टक्कर देने उतर गई हैं. इस बार का विधानसभा चुनाव अपने आप में बड़ा दिलचस्प होगा. क्योंकि इस बार ऐसा पहली बार होगा जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में उतर रहा है. इस चुनाव में शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेटे आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) वर्ली (Worli Assembly seat) से चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में जीत की उम्मीदों के साथ सभी दल कूद पड़े हैं. एक तरफ बीजेपी और शिवसेना साथ में हैं तो दूसरी एनसीपी-कांग्रेस का गठबंधन है, वहीं अन्य पार्टियां भी अपना मोर्चा खोल मैदान में टक्कर देने उतर गई हैं. इस बार का विधानसभा चुनाव अपने आप में बड़ा दिलचस्प होगा. क्योंकि इस बार ऐसा पहली बार होगा जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में उतर रहा है. इस चुनाव में शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेटे आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) वर्ली (Worli Assembly seat) से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेटे आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) को मुंबई के वर्ली (Worli Assembly seat) से चुनाव लड़ेंगे.
ऐसा पहली बार होगा जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में उतर रहा है. इसी के साथ शिवसेना ने सियासी दांवपेंच आजमाना शुरू कर दिया है. चुनाव से पहले शिवसेना ने वर्ली में पोस्टर लगाया है, जिसमें गुजराती में लिखा है केम छो. जिसका हिंदी में मतलब होता है कैसें है आप. वहीं मराठी, उर्दू और तेलगू में भी लिखा है. इससे पहले शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने अपने दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे से वादा किया था कि एक दिन एक शिवसैनिक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनेगा. मैं उनसे किए वादे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. शिवसेना का केसरिया झंडा दक्षिण मुंबई में महाराष्ट्र विधानसभा की इमारत में लहराना चाहिए.
शिवसेना आदित्य को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा के तौर पर पेश कर रही है. आदित्य 2009 में राजनीति में उतरने के बाद से संगठन में सक्रिय हैं। वह खुद पर्दे के पीछे रह कर नये युवा नेताओं का एक कैडर बना रहे हैं. पिछले 10 साल में उन्होंने जमीनी मुद्दों को समझने के लिए समूचे राज्य का दौरा किया है. इसलिए, उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की अपने परिवार की परंपरा तोड़ने का फैसला किया.
युवा सेना सचिव वरूण सरदेसाई ने दावा किया था कि वह देश में 30 साल से कम उम्र के एक मात्र नेता हैं जिन्होंने अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के तहत समूचे राज्य का दौरा किया है और 75 से अधिक आदित्य संसदों को संबोधित किया है. गौरतलब हो कि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 288 सीटों में शिवसेना ने 63 पर जीत दर्ज की थी जबकि बीजेपी को 122 सीटें मिली थी. दोनों दलों ने अपने-अपने बूते चुनाव लड़ा था.