महाराष्ट्र और हरियाणा कांग्रेस में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2019) से पहले टिकट बंटवारे के बाद से ही कलह मची हुई है. चुनाव में महज कुछ वक्त ही बचे हैं ऐसे में कांग्रेस के अंदरुनी झगड़े बीजेपी के लिए वरदान साबित हो सकते हैं. मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण से नाराज हैं. इसके साथ ही उन्होंने जमकर अपनी पार्टी के दिग्गज नेताओं पर भड़ास निकाल रहे हैं. उन्होने कहा कि कांग्रेस को चापलूसों से सावधान रहना होगा और इस चुनाव में मैं प्रचार नहीं करूंगा. निरुपम की नाराजगी अब शिवसेना और बीजेपी के लिए प्लस पॉइंट बनकर उभर रही है. क्योंकि महाराष्ट्र में बीजेपी और सेना दोनों इस वक्त मजबूत स्थिति है, लोकसभा चुनाव में दोनों ने अपने दम पर कई सीटों पर कब्जा कर कांग्रेस और एनसीपी का सूपड़ा साफ कर दिया था.
महाराष्ट्र के अलावा हरियाणा कांग्रेस में भी इस समय कलह मचा हुआ है. हरियाणा में भी पार्टी के पूर्व प्रमुख अशोक तंवर (Ashok Tanwar) ने चुनाव समितियों के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. अशोक तंवर ने कांग्रेस पर टिकट बेचने का इल्जाम लगाया. अशोक तंवर ने दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा, " 5 साल तक मैंने कांग्रेस के लिए अपना खून-पसीना बहाया. प्रदर्शनकारियों ने यहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी गुजाम नबी आजाद के खिलाफ नारे लगाए.
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महाराष्ट्र में 288 सीटें हैं, साल 2014 की चुनाव में जाने किस पार्टी को मिली थी कितनी सीटें-
बीजेपी+: 123
शिवसेना: 63
कांग्रेस: 42
हरियाणा कुल 90 सीटें हैं, साल 2014 की चुनाव में जाने किस पार्टी को मिली थी कितनी सीटें-
बीजेपी: 47
कांग्रेस: 15
इनेलो गठबंधन-20
हंजका-2
निर्दलीय-5
एक तरफ जहां कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ विधानसभा जीत के बाद उत्साह अपने चरम पर था वहीं लोकसभा चुनाव में मिली हार के थोड़ी निराशा में है. वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष पद को राहुल गांधी त्याग दिया है. पार्टी के कार्यकर्ताओं की अपील के बाद आखिरकार एक बार फिर सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष पद संभाल रही हैं. लेकिन इस बार उन्हें पार्टी को खड़ा करने में एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा.
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गौरतलब हो कि महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को मतदान होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी. नॉमिनेशन भरने की आखिरी तारीख 4 अक्टूबर को होगी और नामांकन वापस लेने की तारीख 7 अक्टूबर को होगी. ऐसे अगर कांग्रेस में नाराजगी का दौर खत्म नहीं हुआ तो यहां पर भी उन्हें नाकामी का मुंह देखना पड़ सकता है. क्योंकि कांग्रेस के कई नेता पहले बीजेपी का दामन थाम चुके हैं.