अलौकिक, अद्भुत और अकल्पनीय होगा पृथ्वी का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ-2025! जानें योगी सरकार के महाकुंभ को डिजिटल बनाने वाली व्यवस्थाओं के बारे में, जहां डुबकियां लगाकर पुण्य कमाएंगे 45 करोड़ श्रद्धालु!
साल 2025 के महाकुंभ की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस महापर्व की महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि महाकुंभ-2025 पर देश-विदेश से लगभग 45 करोड़ स्नानार्थियों के आने का अनुमान है. यह संख्या 41 देशों के बराबर है. एक शहर में इतने विशाल जनसमुदाय (श्रद्धालुओं) के स्नान-ध्यान की सुविधाएं, सुरक्षा, आवास, खान-पान और आवागमन की व्यवस्था आसान नहीं है, लेकिन मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए एक ब्लू प्रिंट जारी कर विश्वास की भावना जगाने का प्रयास किया है.
Mahakumbh 2025: साल 2025 के महाकुंभ की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस महापर्व की महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि महाकुंभ-2025 पर देश-विदेश से लगभग 45 करोड़ स्नानार्थियों के आने का अनुमान है. यह संख्या 41 देशों के बराबर है. एक शहर में इतने विशाल जनसमुदाय (श्रद्धालुओं) के स्नान-ध्यान की सुविधाएं, सुरक्षा, आवास, खान-पान और आवागमन की व्यवस्था आसान नहीं है, लेकिन मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए एक ब्लू प्रिंट जारी कर विश्वास की भावना जगाने का प्रयास किया है. यहां हम बात करेंगे, दुनिया के इस सबसे बड़े मेले के मुख्य आकर्षण और व्यवस्था की..
सनातन धर्म रक्षार्थ निमित्त 13 अखाड़े
धर्म की रक्षार्थ निर्मित मठों ने शास्त्रों के साथ अस्त्र-शस्त्र के अभ्यास पर भी बल दिया, यहीं से अखाड़ों की परंपरा शुरू हुई. शुरु में चार अखाड़े बने. आज कुल 13 अखाड़े मौजूद हैं. अखाड़ों में प्रवेश हेतु पहले कड़े नियम होते थे, लेकिन बदलते समय के साथ धार्मिक जीवन में रत डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर एवं उच्च डिग्रीधारी भी शामिल हुए. अखाड़े में पदवियां योग्यतानुसार दी जाती है. इन अखाड़ों का इतिहास रोचक-और रोमांचक है. अखाड़ों का प्रमुख कार्य सनातन धर्म की रक्षा के साथ लोक कल्याणकारी कार्यों मसलन स्कूल, कॉलेजों एवं अस्पतालों का संचालन है. यह भी पढ़ें : PM मोदी प्रयागराज के दौरे पर, महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा के साथ ही कई परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन, जानें पूरा कार्यक्रम
महाकुंभ 2025 में मिलेंगे भंडारे
इस महाकुंभ पर प्रतिदिन मेला के विभिन्न स्थानों पर लाखों श्रद्धालुओं को निशुल्क, स्वच्छ और स्वादिष्ट उपलब्ध कराया जाना दुनिया के लिए सबसे विलक्षण घटना है. इन भंडारों में बिना किसी से उनकी पहचान जाने भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. महाकुंभ के दौरान करोड़ों लोग इन भंडारों में भोजन करेंगे. यह सवाल रोचक होगा कि कौन और कैसे चलाते हैं ये भंडारे, जहां पूरे दिन सात्विक और स्वादिष्ट भोजन परोसे जाएंगे.
महाकुंभ पर डिजिटल क्रांति का शंखनाद
डिजिटल युग से अतिप्राचीन आध्यात्मिक कुंभ मेला भी अछूता नहीं रहेगा. महाकुंभ से जुड़ी जानकारी को शीघ्रता से आम लोगों तक पहुंचाने के लिए महाकुंभ 2025 ऐप और वेबसाइट पर उपलब्ध होंगी. ऐप पर एक चैटबॉट (SahaAlyak) उपलब्ध होगा, जो 11 भाषाओं में सभी प्रश्नों के जवाब देगा. एकीकृत कंट्रोल एवं कमांड सेंटर के साथ डिजिटल खोया-पाया केंद्र महाकुम्भ को डिजिटल महाकुम्भ साबित करेंगे. महाकुम्भ के रूट से लेकर विभिन्न सेवाओं और इमरजेंसी हेल्प के लिए क्यूआर कोड आधारित सेवा और दूसरे डिजिटल प्लैटफॉर्म होंगे. महाकुंभ आने-जाने वाले इस ऐप के माध्यम से QR टिकट पा सकेंगे.
जल-थल-नभ से मेले की किलेबंदी
एक स्थान पर 45 करोड़ जनसमुदाय का एकत्र होना किसी भी प्रशासन के लिए उनकी सुरक्षा एक बड़ी चुनौती कही जाएगी. महाकुंभ के श्रद्धालुओं की सुरक्षा के तहत राजमार्ग, जलमार्ग से लेकर रेलमार्ग तक की सुरक्षा चाक-चौबंद की गई है. समस्त मेला क्षेत्र को किले में बदलने के तहत डिजिटल सुरक्षा चक्र तैयार किया गया है. एआई पर आधारित डिजिटल तकनीक से युक्त चॉपर, ड्रोन, जल पुलिस, वाटर ब्रिगेड और कोने-कोने पर लगे सीसीटीवी कैमरा से सुरक्षा साधने की तैयारी है. संपूर्ण मेला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए इसे 25 सेक्टर में बांटा गया है.
महाकुंभः पृथ्वी पर स्वर्ग का अवतरण
4 हजार हेक्टेयर में फैले महाकुंभ क्षेत्र में खुले में शौच से निपटने हेतु जगह-जगह आधुनिक शौचालय, ठोस एवं तरल कचरे के प्रबंधन की आधुनिक तकनीक और शैली अपनाई जा रही है. 1 लाख 60 हजार शौचालय, हजारों डस्टबिन, 40 कॉम्पेक्टर और 150 टिपर गाड़ियों से मेला क्षेत्र और नदियों को प्रदूषण एवं गंदगी मुक्त बनाया जा रहा है, जिसके लिए हजारों स्वयंसेवकों स्वच्छता मिशन से जोड़ा गया है. मेला क्षेत्र 2025 ऐप एवं क्यूआर कोड आधारित सिस्टम तैयार किया गया है.
आपात परिस्थितियों के लिए विभिन्न रंगों के क्यूआर कोड
श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु ऐप के अलावा विभिन्न रंगों के क्यूआर कोड होंगे. मेडिकल इमरजेंसी के लिए लाल क्यूआर कोड का प्रयोग करना होगा, जरूरतमंदों की जीपीएस ट्रैकिंग भी हो सकेगी. हेल्थ इमरजेंसी के लिए मेडिकल नेटवर्क बनाये गये हैं, दूसरी सेवाओं के लिए अलग-अलग रंगों के क्यूआर कोड होंगे. ट्रांसपोर्टेशन के लिए ब्लू, एकोमोडेशन के लिए ग्रीन, धार्मिक आयोजनों की जानकारियों के लिए येलो क्यूआर कोड उपयोग किया जा सकेगा. इसका उद्देश्य आपातकाल में श्रद्धालुओं को तुरंत निदान पहुंचाना है.