Madhya Pradesh By Election Result 2021: हाल ही में देश भर में संपन्न हुए हुए उपचुनावों के मिले-जुले नतीजे आये हैं. वहीं मध्य प्रदेश में चार सीटों (MP By Poll Result 2021) पर उपचुनाव हुए हैं. इनमें से एक लोकसभा सीट जबकी तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं. चार में से महज एक सीट पर ही कांग्रेस जीत दर्ज में कामयाब रही. जबकी लोकसभा की एक विधानसभा की दो सीटों पर बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की. Madhya Pradesh By Election 2021: चार में से तीन सीटों पर बीजेपी ने मारी बाजी, रैंगाव में 31 साल बाद कांग्रेस ने फिर की वापसी
वहीं इस मामले में प्रशांत किशोर की टीम का हिस्सा रहे राजनीतिक रणनीतिकार बद्रीनाथ बताते हैं कि पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतें हों या फिर केंद्र सरकार के खिलाफ महंगाई, किसान, कृषि कानून सहित अन्य मुद्दे बीजेपी सरकार पर ये मुद्दे ज्यादा हावी दिखाई नहीं पड़ते हैं बल्कि नतीजें बताते हैं कि जनता ने मजबूत प्रांतीय नेतृत्व को स्वीकार किया है.
अगर हम बात पश्चिम बंगाल की करें तो ममता के सामने कोई विकल्प नहीं होनें की वजह से सभी सीटें तृणमूल कांग्रेस नें जीत ली हैं. वहीं हिमांचल प्रदेश में बीजेपी के 3 मुख्यमंत्री बदले जा चुके हैं. लड़ाई सीधे कांग्रेस से रही नतीजतन कांग्रेस नें सीधे मुकाबले में बीजेपी को शिकस्त दी. वहीं बिहार में महागठबंधन में पड़ी दरार की वजह से वोटों का बिखराव एनडीए गठबंधन को जीत दिलानें में मददगार साबित हुआ.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट बद्रीनाथ के मुताबिक, पूरे मध्य प्रदेश में जो राजनीतिक हालात हैं उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में उम्मीदें रही हैं और वो उस पर खरे भी उतरे हैं. कांग्रेस के पास मुद्दे तो बहुत हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी के पास कोई मजबूत नेतृत्व नजर नहीं आता. साथ ही बनी बनाई सरकार के चले जाने से लोगों की कांग्रेस से उम्मीदें कम हुई है.
बीजेपी ने कांग्रेस से कई सीटें छीन ली हैं हालंकि बीजेपी का गढ़ रही सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब रही. कांग्रेस को यहां 31 साल बाद फिर जीत मिली है. बद्रीनाथ के चुनावों में हार-जीत के कई फैक्टर होते हैं. इनमें केंद्र के कानून, राज्य का नेतृत्व, पार्टी के प्रोग्राम और नीतियों के अलावा घोषणा पत्र इसमें सबसे बढ़कर प्रत्याशी के खिलाफ एंटी इन कम्बेंसी भी अहम रोल निभाती है.
वैसे कांग्रेस में भले ही नेतृत्व कमलनाथ के हाथ में हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी सहित अन्य कांग्रेस नेताओं में नेतृत्व शक्ति बंटी नजर आती हैं. नेतृत्व क्षमता में कमी और जमीनी मुद्दों को ठीक से भुना नहीं पाना भी इस हार का कारण रहा है. वहीं प्रान्तीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर भी नेतृत्व शक्ति बंटी नजर आती है यही कारण रहा कि जनता नें उसे पूरी तरह से नकार दिया है.
ये उपचुनाव एक तरह से सेमीफाइनल की तरह की है. जाहिर है कि इन चुनावों से बीजेपी का मनोबल बढ़ा है लेकिन 2023 में एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे कमलनाथ की चिंता बढ़ गई है. अगर वास्तव में कांग्रेस वर्ष 2023 के चुनावों में बहुमत हासिल करना चाहती है तो उसे न सिर्फ अपनी नेतृत्व शक्ति को एकाग्र करने की जरूरत है बल्की स्थानीय से लेकर क्षेत्रीय और प्रांतीय मुद्दों को भी जमकर भुनाने की जरूरत है.
बता दें कि मध्य प्रदेश उपचुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं. यहां राज्य में कुल चार सीटों पर उपचुनाव हुए हैं इनमें से एक लोकसभा सीट भी शामिल हैं. इनमें खंडवा संसदीय क्षेत्र सहित पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव शामिल हैं. इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है लेकिन इसके अलावा रैवांग में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत हुई है. यहां कांग्रेस ने 31 साल बाद एक बार फिर वापसी की है. खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी, पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी, जोबाट सीट पर बीजेपी और सतना के रैगांव सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.