मध्य प्रदेश: प्रवासी गर्भवती महिला ने रास्ते में दिया बच्चे को जन्म, डिलीवरी के बाद पैदल चली 150 किमी, पति के साथ नासिक से सतना के लिए निकली थी पैदल
महिला ने रास्ते दिया बच्चे (Photo Credits: ANI)

सतना: कोरोना वायरस (Coroanvirus) के बढ़ते प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए देश में लॉकडाउन (Lockdown) की तीसरा चरण जारी है, बावजूद इसके प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) का पलायन जारी है. देश के विभिन्न राज्यों के मजदूर अब भी पैदल चलकर अपने घरों की ओर जा रहे हैं. रास्ते में मजदूरों को तमाम तरीके की परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है, लेकिन इनका मकसद हर हाल में अपने घरों तक पहुंचना ही है. हालांकि प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए विशेष श्रमिक ट्रेनों और बसों का इंतजाम भी किया गया है, फिर भी भारी तादात में अब भी मजदूर पैदल चलकर पलायन करने को मजबूर हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश अपने पैदल जा रही एक गर्भवती प्रवासी महिला (Pregnant Migrant Woman) ने रास्ते में बच्चे को जन्म दिया है.

कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nasik) से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) के लिए निकली एक गर्भवती प्रवासी महिला (Pregnant Woman) ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया. महिला के पति का कहना है कि जन्म देने के बाद हमनें दो घंटे आराम किया और फिर उसके बाद हम कम से कम 150 किलो मीटर तक पैदल चले. वहीं सतना के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर एके रॉय का कहना है कि इस बात की जानकारी मिलते ही प्रशासन द्वारा सीमा पर दंपत्ति के लिए एक बस की व्यवस्था की गई. मां और बच्चे के सभी चेकअप हो चुके हैं और दोनों ठीक हैं. यह भी पढ़ें: पलायन जारी: दिल्ली से निकले कई प्रवासी मजदूरों को गाजियाबाद में पुलिस ने रोका, यूपी-बिहार के मजदूर बोले- हमारे पास नहीं बची एक भी पाई, किसी तरह हमें पहुंचना होगा घर

महिला ने रास्ते में दिया बच्चे को जन्म

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लॉकडाउन का ऐलान किए जाने के बाद से सभी  कारखाने और उद्योग धंधे बंद हो गए, जिसके चलते श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. लॉकडाउन के चलते रोज कमाने और रोज खाने वाले मजदूरों का रोजगार पूरी तरह से ठप हो गया. ऐसे में देश के विभिन्न राज्यों से श्रमिक मजदूर अपने-अपने घरों की ओर पैदल चलकर ही जाने लगे. कई अपने घरों तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं, जबकि कइयों का पलायन अब भी जारी है.