लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग ने SC को बताया- 50 फीसदी VVPAT के मिलान से नतीजों में होगी देरी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

चुनाव आयोग (Election Commission)  ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की पर्चियों की गणना का वर्तमान तरीका सबसे अधिक उपयुक्त है. आयोग ने प्रति विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र से वीवीपैट की पर्चियों की गणना की प्रणाली को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि अगर यह संख्या बढ़ाई गई तो इससे नतीजे देरी से आएंगे. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया अगर ईवीएम और वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान 50 फीसदी तक बढ़ाने की मांग मान ली जाती है, तो चुनाव के नतीजे आने में 5 दिन ज्यादा लग सकते हैं. चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, सात फेज में वोटिंग के बाद आम चुनाव के बाद नतीजे 23 मई को आने हैं.

बता दें 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें उन्होंने एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किए जाने की मांग की थी. ताकि चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता बनी रहे. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विचार करने को कहा था. चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा है कि ऑटोमैटिक रूप से पर्चियों के मिलान का कोई तरीका नहीं है. चुनाव आयोग के मुताबिक कई और भी चुनौतियां हैं. आयोग ने इसकी व्यवहारिकता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इसके लिए न सिर्फ बड़ी तादाद में सक्षम स्टाफ की जरूरत होगी, बल्कि बहुत बड़े काउंटिंग हॉल की भी दरकार होगी जिनकी पहले से ही कुछ राज्यों में कमी है. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: अमित शाह की पहली परीक्षा, लालकृष्ण आडवाणी की सीट गांधीनगर से आज भरेंगे नामांकन

आयोग ने यह भी कहा कि वर्तमान प्रणाली को आसन्न चुनाव में जारी रहने दिया जाए क्योंकि यह सबसे अधिक उपयुक्त पाई गई है. आयोग ने कहा कि सत्यापन के आकार में किसी भी तरह की वृद्धि से विश्वास स्तर पर बहुत ही मामूली फर्क पड़ेगा. विश्वास का वर्तमान स्तर 99.9936 फीसदी से अधिक है. शीर्ष अदालत के 25 मार्च के सवाल के उत्तर में निर्वाचन आयोग ने एक हलफनामा दाखिल किया है. आयोग ने इस संबंध में दाखिल हलफनामे में कहा कि इन याचिकाओं में आगामी चुनाव के मुद्दे उठाए गए हैं जिन पर निर्वाचन आयोग ने विचार किया, अध्ययन किया और निर्णय लिया. इसके बाद वर्तमान तरीके से आगामी चुनाव कराने के बारे में फैसला किया गया.

आयोग ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें इस समय वर्तमान प्रणाली में बदलाव के लिए कोई वजह नहीं बताई गई है. विपक्षी नेता चाहते हैं कि अगले महीने होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग मशीनों की कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों की गणना की जाए.