Aye Mere Watan Ke Logon: लता मंगेशकर का ये गीत सुनकर रो पड़े थे पंडित नेहरु, जानिए गाने की दिलचस्प कहानी

इस गाने को प्रदीप ने लता मंगेशकर के सामने रखा. लेकिन लता जी ने इसे गाने से इंकार कर दिया, क्योंकि उनके पास रिहर्सल का वक्त नहीं था. ऐसे में वह किसी एक गाने पर खास ध्यान नहीं दे सकती थी.

गायिका लता मंगेशकर और पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू (Photo Credit : Twitter)

Lata Mangeshkar Passes Away, 6 फरवरी: भारत की स्वर कोकिला और मशहूर गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का आज 92 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन पर देश में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. 78 साल के करियर में लता मंगेशकर ने 25 हजार से ज्यादा गाने गाए. मेरी आवाज ही पहचान है... स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने दुनिया को कहा अलविदा, जानें उनकी जिंदगी के जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से

हम आपको लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं. बात है 27 जनवरी, 1963 की, दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह से जुड़े कार्यक्रम में गायिका लता मंगेशकर का वो शो हुआ, जहां की कहानियां इतिहास बन गईं.

दरअसल साल 1962 में चीन से युद्ध हारने के बाद देश में हर तरफ निराशा का माहौल था. देश का मनोबल टूटा नजर आ रहा था. ऐसे में कवि प्रदीप जो मुंबई में माहिम बीच पर एक शाम टहल रहे थे. तभी उनके जहन में कुछ शब्द आए जिसे उन्होंने तुरंत कागज पर उतार दिया. उस गीत के शब्द थे ऐ मेरे वतन के लोगों (Aye Mere Watan ke Logon). इस गाने को प्रदीप ने लता मंगेशकर के सामने रखा, लेकिन लता जी ने इसे गाने से इंकार कर दिया, क्योंकि उनके पास रिहर्सल का वक्त नहीं था. ऐसे में वह किसी एक गाने पर खास ध्यान नहीं दे सकती थी, लेकिन साल 1963 में दिल्ली में होने वाले गणतंत्र दिवस के मौके पर इस गाने को गाने के लिए कहा गया.

लता ने इस गाने (Song) की रिहर्सल शुरू कर दी. वह अपनी बहन आशा भोसले के साथ इस गाने को गाने वाली थी इसलिए दोनों साथ रिहर्सल कर रहे थे, लेकिन जिस दिन दिल्ली जाना था उससे एक दिन पहले आशा भोसले ने जाने से इनकार कर दिया. ऐसे में लता जी को अकेले ही दिल्ली जाना पड़ा. इस समारोह में उस समय के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, दिलीप कुमार, राज कपूर, महबूब खान जैसी बड़ी शख्सियत मौजूद थी. इस आयोजन के जरिये आर्मी जवानों के लिए फंड इकट्ठा किया जाना था.

लोगों से भरे हुए स्टेडियम में गाना गाने से पहले लता जी काफी नर्वस थी, लेकिन जब उन्होंने सभी के सामने इस गीत को गाया तो यह हमेशा हमेशा के लिए यादगार हो गया. यह गीत देश का सबसे लोकप्रिय गानों में से एक बनाया. कवि प्रदीप ने पहले ही लता जी से कहा था कि देखना यह गीत हमेशा याद किया जाएगा. कहना गलत नहीं होगा कि यह गाना आज शहीदों के लिए एक श्रद्धांजलि जीत में बदल चुका है. जो हर देशवासी के दिलों को छू लेता है. लता इस बात से अनजान थी कि इस गीत ने कितना गहरा असर डाला है.

गाना समाप्त होने के बाद  अचानक लता को  पंडित नेहरु (Pandit Jawaharlal Nehru) ने बुलाया. लता ने एक पत्रकार को बताया था कि 'जब मैं वहां पहुंची तो पीएम नेहरू, राधाकृष्णन जी, इंदिरा जी समेत मेरे अभिवादन में खड़े हो गए'.  पंडित  नेहरु  ने लता से  कहा, 'आपने बहुत अच्छा गाया...मेरे आंखों में पानी आ गया!' लता मंगेशकर के गाए सदाबहार गाने हमेशा लोगों के जहन में गूंंजते रहेंगे.

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