मुंबई: संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) के लाखों खाताधारकों को बड़ी खुशखबरी मिली है. डीबीएस बैंक इंडिया (DBS Bank India) में लक्ष्मी विलास बैंक के विलय को मंजूरी मिलने के बाद खाताधारकों को बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. 27 नवंबर से लक्ष्मी विलास बैंक की शाखाएं डीबीएस बैंक इंडिया की शाखाओं के रूप में संचालित होगी. साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा लक्ष्मी विलास बैंक पर लगाये गए सारे प्रतिबंध भी ख़त्म हो जाएंगे. यानि कि शुक्रवार से खाताधारक अपने जरुरत के मुताबिक खाते से पैसे निकल सकते है और पैसे निकालने को लेकर किसी भी तरह की रोक नहीं होगी. छह दिन में 53 प्रतिशत टूटा लक्ष्मी विलास बैंक का शेयर
आरबीआई ने बीते हफ्ते लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड (एलवीबी) का डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) में विलय का प्रस्ताव रखा था. जिसे आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हरी झंडी मिल गई. इस फैसले से बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिली और साथ ही 4,000 कर्मचारियों की नौकरी भी सुरक्षित हो गई. डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड सिंगापुर की डीबीएस बैंक लिमिटेड की पूर्व स्वामित्व वाली अनुषंगी है.
जमाकर्ताओं के हित की रक्षा और वित्तीय एवं बैंकिंग स्थिरता के हित में, बैंकिंग विनियमन कानून, 1949 के सेक्शन 45 के तहत आरबीआई के आवेदन पर विलय की यह योजना बनाई गई. इसके साथ ही आरबीआई ने सरकार की सलाह से जमाकर्ताओं के हित की रक्षा के लिए 17 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन की अवधि के लिए मोरेटोरियम लगा दिया था और उसके निदेशक मंडल के ऊपर एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी. बैंक के बोर्ड को भी भंग कर दिया गया था. साथ ही प्रत्येक जमाकर्ता 25,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की गई थी.
वित्त मंत्रालय ने एक बयां में कहा कि विलय को मंजूरी देने का काम मोरेटोरियम की अवधि के समाप्त होने से काफी पहले कर लिया गया ताकि लागू मोरेटोरियम के कारण अपने धन की निकासी नहीं कर पाने की जमाकर्ताओं की परेशानी को कम किया जा सके. डीबीआईएल एक बैंकिंग कंपनी है जिसे आरबीआई का लाइसेंस प्राप्त है और जो पूर्ण स्वामित्व वाले सहायक मॉडल पर भारत में परिचालन करती है. डीबीआईएल की सुदृढ़ बैलेंस शीट (तुलन पत्र) है, उसके पास पर्याप्त पूंजी है और डीबीएस से सम्बद्ध होने के कारण वह अतिरिक्त लाभ की स्थिति में भी है.
डीबीएस एशिया का एक प्रमुख वित्तीय सेवा ग्रुप है जिसकी 18 बाजारों में उपस्थिति है और जिसका मुख्यालय सिंगापुर में है। वह सिंगापुर के शेयर बाजार में लिस्टिड भी है. विलय के बाद भी डीबीआईएल का संयुक्त बैलेंस शीट सुदृढ़ रहेगा और इसकी शाखाओं की संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी.