Putrada Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विधान है. गौरतलब है कि साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं, हर एकादशी का अपना महत्व होता है. पौष माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं, इसे बैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह व्रत संतान-प्राप्ति एवं संतान की सेहत और सुरक्षा के लिए रखा जाता है. निसंतान दंपत्ति इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें तो उन्हें संतान प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 21 जनवरी 2024, रविवार को रखा जाएगा. आइये जानते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि इत्यादि.
पुत्रदा एकादशी का महत्व
इस वर्ष पुत्रदा एकादशी तीन विशेष योग एवं नक्षत्रों में पड़ने से इसका महत्व बढ़ गया है. 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी पर 3 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. उस दिन प्रात:काल से सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक शुक्ल योग बन रहा है. उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा, जो अगले दिन पारण तक होगा. व्रत के पारण वाले दिन द्विपुष्कर योग सुबह 03.52 से सुबह 07.14 तक रहेगा. पौष पुत्रदा एकादशी के दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.11 से दोपहर 12.54 तक रहेगा. एकादशी व्रत वाले दिन रोहिणी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर अगले दिन सुबह 03.52 बजे तक रहेगा, उसके बाद से मृगशिरा नक्षत्र है. मान्यता है कि उपरोक्त ग्रहों के योग में निसंतान दंपत्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रखें, तो सारी उन्हें संतान जरूर प्राप्त होगी.
पुत्रदा एकादशी 2024 तिथि एवं शुभ मुहूर्त
पौष शुक्ल पक्ष एकादशी प्रारंभः 07.26 PM (20 जनवरी 2024, शनिवार)
पौष शुक्ल पक्ष एकादशी समाप्तः 07.26 PM (21 जनवरी 2024, रविवार)
एकादशी व्रत उदया तिथि के अनुसार रखा जाता है, इसलिए 21 जनवरी को एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
पारण समयः 06.24 AM से 08.38 AM तक (21 जनवरी 2024)
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. घर एवं मंदिर की साफ-सफाई करें. मंदिर के सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. इन पर गंगाजल का छिड़काव करें. विष्णुजी के सामने श्रीयंत्र रखें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. विष्णु जी का आह्वान मंत्र पढ़ें.
ॐ नमोः नारायणाय नमः।
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः
विष्णु जी का पहले गंगाजल और फिर पंचामृत से स्नान कराएं. अब विष्णुजी को पीला पुष्प, पीला अक्षत, पीला चंदन, रोली, मौली, सुपारी आदि वस्तुएं अर्पित करें. विष्ण सहस्त्रनाम का जाप करें. भगवान विष्णु को दूध की मिठाई एवं मौसमी फल चढ़ाएं. अंत में भगवान विष्णुजी में आरती उतारें. इसके बाद सभी को प्रसाद वितरित करें.