Tour of Duty: जानें चयन के लिए कितनी भर्तियों के लिए रखा गया प्रस्ताव

चीफ ऑफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत के 'टूर ऑफ ड्यूटी' प्रस्ताव की खबर ने युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है. भारतीय सेना में सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए उद्देश्‍य से एक प्रस्ताव दिया गया है, जिसका नाम है टूर ऑफ ड्यूटी.

भारतीय सेना (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) के 'टूर ऑफ ड्यूटी' (Tour of Duty) के प्रस्ताव की खबर ने युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है. भारतीय सेना में सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए उद्देश्‍य से एक प्रस्ताव दिया गया है, जिसका नाम है टूर ऑफ ड्यूटी. इसके जरिए आम नागरिकों को तीन साल के लिए भारतीय सेना में शामिल होने और सेना के सैनिक के रूप में देश की सेवा करने का मौका मिलेगा हालाकि यह प्रस्ताव अभी प्रक्रिया में है, लेकिन इसने निश्चित रूप से बहुत लोकप्रियता हासिल की है.इसके अलावा यह उन लोगों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है, जो एक कारियर के रूप में अपनाए बिना एक सैनिक के काम का अनुभव करना चाहते हैं. भारतीय सेना द्वारा प्रस्तावित टूर ऑफ़ ड्यूटी के जरिए सशस्त्र सेवा में देश की प्रतिभा को आकर्षित करने का प्रयास किया गया है.

प्रस्ताव के अनुसार टूर ऑफ ड्यूटी में भारतीय सेना में तीन साल तक के लिए सेवा का प्रस्ताव है, अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है.  इस प्रस्ताव के मुताबिक चयनित व्यक्ति को तीन साल तक जिस भी श्रेणी में उसका चयन हुआ है उसके अनुसार पूरी सैलरी मिलेगी.  अगर किसी को ड्यूटी के दौरान चोट लगती है, या शहीद हो जाते हैं तो वो सभी सेवाएं मिलेंगी जो एक आम फौजी को मिलती है.  चयन की प्रक्रिया भी पहले जैसी ही होगी यानी, शारीरिक, चिकित्सीय क्षमता और लिखित परीक्षा के बाद ही इसमें किसी का चयन करने का प्रस्ताव रखा गया है. हांलाकि अभी उम्र सीमा को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है और ना ही योग्यता पर कोई निर्णय लिया गया है. वहीं टूर ऑफ ड्यूटी में तीन साल बाद सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा. यह भी पढ़े: उज्जैन में आदिवासी युवकों की सेना में भर्ती के लिए 20 नवबंर से किया जाएगा रैली का आयोजन

जानकारी के मुताबिक इस दौरान अभ्‍यर्थियों को पहले ट्रेनिंग दी जाएगी, साथ ही इस पर भी विचार किया किया जा रहा है कि अगर कोई तीन साल बाद निकलता है तो उसे आसानी से कॉरपोरेट सेक्टर या किसी भी सेक्टर में नौकरी मिल सके.  इसके लिए इस बीच कोई अन्य कोर्स भी कराया जाए. वहीं कई लोगों का मानना है कि ये केवल अधिकारी रैंक के लिए है, जबकि ऐसा नहीं है.  चूंकि अभी ये प्रस्तावित है और अंतिम फैसला सरकार को लेना है। इस 'कोर्स' से आत्मविश्वास में सुधार, टीम वर्क, नेतृत्व क्षमता, तनाव प्रबंधन, नवाचार और ज़िम्मेदारी की भावना में मदद मिलेगी। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि इसके जरिए कॉरपोरेट जगत व अन्‍य क्षेत्रों में प्रशिक्षित, अनुशासित, आत्मविश्वासी, मेहनती और प्रतिबद्ध पुरुषों और महिलाओं की संख्‍या बढ़ेगी.

Share Now

\