राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक, विचारक, लेखक और भारतीय विचार केंद्रम (बीवीके) के संस्थापक पी. परमेश्वरन का शनिवार देर रात निधन हो गया. आरएसएस के एक नेता ने बताया कि उन्होंने केरल के पलक्कड़ जिले में अपने एक मित्र के आवास पर अंतिम सांस ली. परमेश्वरन (93) आयुर्वेद इलाज कराने के बाद अपने मित्र के आवास पर ठहरे हुए थे. उनका अंतिम संस्कार सोमवार शाम अलाप्पुझा जिले में स्थित उनके गृह नगर मुहामा में होगा. उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय वहीं बिताया था. परमेश्वरजी के नाम से प्रसिद्ध परमेश्वरन एक श्रेष्ठ वक्ता थे और उन्होंने अपना करियर आरएसएस के प्रचारक के तौर पर शुरू किया.
उन्हें 1957 में केरल में भारतीय जन संघ के प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी गई और उसके बाद वे जनसंघ के उपाध्यक्ष तक बने. देश में आपातकाल के दौरान जेल जाने के दौरान वे राजनीति से सामाजिक विचार और विकास के क्षेत्र में चले गए और नई दिल्ली स्थित दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट में चार साल के लिए निदेशक नियुक्त किए गए. वे 1982 में तिरुवनंतपुरम लौट आए और बीवीके की स्थापना की. उनके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं जैसे लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से करीबी संबंध थे और वे तिरुवनंतपुरम में उनसे अक्सर मिलते थे.
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उन्हें भारत सरकार की तरफ से पद्म श्री और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, "श्री पी. परमेश्वरन भारत माता के ऐसे समर्पित सपूत थे, जिसपर देश को गर्व है. उनका जीवन भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, आध्यात्मिक पुनरोत्थान और समाज के सबसे पिछड़े तबके की सेवा के लिए समर्पित था. परमेश्वरन जी के विचार सृजनकारी थे और उनकी लेखनी उत्कृष्ट थी. वह अदम्य थे."
उन्होंने आगे कहा, "एक संस्थान निर्माता परमेश्वरन जी ने भारतीय विचार केंद्र, विवेकानंद केंद्र और कई अन्य प्रख्यात संस्थानों को अपना आश्रय दिया. उनसे कई बार संवाद करने के कारण मैं खुशकिस्मत हूं. वे एक विशाल बुद्धिजीवी थे. उनके निधन पर दुखी हूं. ओम शांति." उनके निधन पर केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी दुख व्यक्त किया.