Kerala High Court- पीड़िता की जांघों के बीच यौन उत्पीड़न भी बलात्कार

केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बलात्कार की परिभाषा का विस्तार किया है और कहा है कि एक पीड़ित की जांघों के बीच प्रवेश करने के लिए किया गया यौन उत्पीड़न भी बलात्कार के रूप में परिभाषित किया जाएगा. जब पीड़ित के साथ पेनिट्रेशन के इरादे से उसके जांघों के बीच यौन उत्पीड़न किया जाता है तो इसे निश्चित रूप से धारा 375 के तहत बलात्कार के रुप में परिभाषित किया जाएगा.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) की एक खंडपीठ ने बलात्कार (Rape) की परिभाषा का विस्तार किया है और कहा है कि एक पीड़ित की जांघों के बीच प्रवेश करने के लिए किया गया यौन उत्पीड़न (Sexual Assault) भी बलात्कार के रूप में परिभाषित किया जाएगा. जस्टिस के विनोद चंद्रन (K Vinod Chandran) और जियाद रहमान (Ziyad Rahman) की पीठ ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि जब पीड़ित के साथ पेनिट्रेशन के इरादे (Penetrative Sexual Act) से उसके जांघों के बीच यौन उत्पीड़न किया जाता है तो इसे निश्चित रूप से धारा 375 के तहत बलात्कार के रुप में परिभाषित किया जाएगा.

पीठ एक निचली अदालत के फैसले के खिलाफ एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शख्स ने अपने पड़ोस में रहने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ बार-बार यौन उत्पीड़न किया था. दरअसल, निचली अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उस व्यक्ति ने हाई कोर्ट का रुख किया था. इस मामले में शख्स पर जिस यौन कृत्य का आरोप लगा था, वह पीड़िता के जांघों के बीच पेनिट्रेशन करने का था.

संक्षेप में, कोर्ट ने कहा कि आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 और समय-समय पर बलात्कार के अपराध की अवधारणा के क्रमिक विकास के बाद अनूठा निष्कर्ष है कि धारा 375 में निहित बलात्कार की परिभाषा, योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी अन्य हिस्से पर सभी प्रकार के प्रवेशक यौन हमले को शामिल करेगी. यह भी पढ़ें: झारखंड की अदालत का बड़ा फैसला, नाबालिग से बलात्कार करने वाले शख्स को 2 साल के भीतर सुनाई 22 साल कैद की सजा

जैसा कि अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामला 2015 का है, जब थिरुमराडी सरकारी स्कूल में एक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया था. वहां पीड़िता पेट दर्द की शिकायत के साथ साथ पहुंची थी. मेडिकल जांच के दौरान पता चला कि पड़ोसी ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया है. डॉक्टर ने मां को सूचित किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को कहा. हालांकि इस मामले में असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई जब सवाल उठे कि इसमें आईपीसी की कौन सी धारा लगाई जाएगी और क्या इस हमले को बलात्कार माना जाएगा.

आदेश में कहा गया है कि जैसा प्रावधान वर्तमान में 375 (सी) में है, जो बलात्कार को परिभाषित करता है. उसमें (सी) एक महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में हेरफेर करना ताकि योनि, मूत्रमार्ग, गुदा मार्ग के जरिए महिला के शरीर के हिस्से में प्रवेश किया जा सके, उसे बलात्कार के रूप में परिभाषित किया जाएगा. द कॉन्सिस ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, पेनेट्रेट शब्द का अर्थ है किसी चीज में या उसके माध्यम से रास्ता बनाने की क्रिया या प्रक्रिया. प्रवेश करना या बलपूर्वक अंदर जाने का प्रयास करना. ऐसे में पीड़ित के जांघों के बीच यौन उत्पीड़न को बलात्कार के तौर पर परिभाषित किया जाएगा.

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