कोच्चि, 16 अगस्त: केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा वर्ष 2022 के लिए केरल राज्य फिल्म पुरस्कारों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के पांच दिन बाद, खंडपीठ ने भी बुधवार को याचिका खारिज कर दी मलयालम फिल्म निर्देशक एम.जे. लिजीश द्वारा वर्ष 2022 के लिए केरल राज्य फिल्म पुरस्कारों को चुनौती देते हुए अपील दायर की गई थी, जिसे 21 जुलाई को केरल राज्य चलचित्रा अकादमी द्वारा घोषित किया गया था.
यह अपील एकल-न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जिसने हाल ही में यह देखते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि याचिका में भाई-भतीजावाद और पक्षपात के आरोपों को साबित करने के लिए सबूतों की कमी है बुधवार को खंडपीठ ने टिप्पणी की कि हमारा मानना है कि एकल न्यायाधीश ने फैसला लेने में कोई गलती नहीं की है यह भी ध्यान रखना उचित है कि फिल्म निर्माता अपीलकर्ता द्वारा किए गए दावे के साथ आगे नहीं आए हैं.
यह भी ध्यान देने योग्य है कि मुख्य जूरी के दो सदस्यों ने हलफनामा दायर नहीं किया है इसलिए इसे खारिज किया जाता है खंडपीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की फिल्म, 'आकाशाथिनु थाझें' को केरल राज्य पुरस्कार की प्रारंभिक जूरी द्वारा भी नहीं चुना गया था.
फिल्म निर्देशक ने बताया कि इसी तरह के आरोप निर्देशक विनयन ने भी लगाए थे, जिन्होंने कहा था कि उनके पास राज्य पुरस्कारों के जूरी सदस्यों के खिलाफ सबूत हैं जो उनकी ओर से पक्षपात और भाई-भतीजावाद साबित कर सकते हैं.
उन्होंने अदालत से राज्य सरकार और केरल राज्य पुलिस प्रमुख को जांच करने और फिल्म निर्देशक रंजीत बालाकृष्णन, जो केरल चलचित्रा अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष हैं, के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया था, हालांकि अदालत ने याचिका खारिज कर दी.