Karnataka Bandh: कावेरी के पानी को लेकर क्यों आमने-सामने हैं कर्नाटक और तमिलनाडु? बंद के चलते बेंगलुरू फिर होगा प्रभावित
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बेंगलुरू: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कई वर्षों से चला आ रहा कावेरी नदी जल विवाद (Cauvery Water Dispute) सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. इस विवाद को लेकर अब कर्नाटक में 29 सितंबर, 2023 को बंद (Karnataka Bandh) करने का आह्वान किया गया है. ऐसे में शुक्रवार को स्कूल और कॉलेज भी बंद रहेंगे. स्कूल बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं. बेंगलुरु जिला प्रशासन ने शुक्रवार (29 सितंबर) को कर्नाटक बंद से पहले स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी की घोषणा की है. कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर दशकों से विवाद बना हुआ है. इसमें मुख्य भूमिका कर्नाटक जल संरक्षण समिति के नेता कुरुबुरु शांताकुमार निभा रहे हैं. कावेरी विवाद में कर्नाटक ने तमिलनाडु के लिए छोड़ा ज्‍यादा पानी, किसानों का विरोध जारी.

बंद के दौरान आज बेंगलुरु में धरना-प्रदर्शन और हिंसा की आशंका को देखते हुए शहर के चप्पे-चप्पे पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. स्कूल बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं. बेंगलुरु एयरपोर्ट ने एडवाइजरी जारी कर यात्रियों से बंद को देखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाने का अनुरोध किया है. वहीं इंडिगो एयरलाइंस ने भी यात्रियों से हवाईअड्डे तक यात्रा करते समय पर्याप्त समय रखने की अपील की है.

कर्नाटक रक्षण वेदिके, कन्नड़ चलवली (वटल पक्ष) समेत कन्नड़ संगठनों और विभिन्न किसान संगठनों के शीर्ष संगठन ‘कन्नड़ ओक्कुटा’ ने पूरे राज्य में सुबह से शाम तक बंद का आह्वान किया है. बंद के आयोजकों ने बताया कि शहर में टाउन हॉल से फ्रीडम पार्क तक व्यापक जुलूस निकाला जाएगा जिसमें सभी वर्ग के लोगों के भाग लेने की संभावना है.

क्या है कावेरी जल विवाद:

कावेरी नदी के पानी को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच काफी पुराना गतिरोध है. हालिया विवाद तब शुरू हुआ, जब पिछले दिनों कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) ने कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि वह 13 सितंबर से 15 दिनों तक तमिलनाडु को 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़े. इसके बाद कर्नाटक सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली. कोर्ट के आदेश के बाद राज्यभर में प्रदर्शन शुरू हो गए.

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) के आदेश के खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया. कर्नाटक सरकार का कहना है कि वह पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि उनके राज्य में भी पीने के पानी और सिंचाई के लिए इसकी जरूरत है.