
बेंगलुरु: कर्नाटक में 22 मार्च को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया है. यह बंद प्रो-कन्नड़ संगठनों द्वारा बुलाया गया है, जिसमें लगभग 3,000 संगठन भाग लेंगे. इस बंद का असर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहने की संभावना है. कर्नाटक बंद का मुख्य कारण बेलगावी में एक बस कंडक्टर पर हुआ हमला बताया जा रहा है. दरअसल फरवरी 21 को सुलेभवी-बालेकुंद्रि में एक मराठी युवा समूह ने बस कंडक्टर महादेव पर हमला कर दिया.
कन्नड़ समर्थक संगठनों की ओर से 22 मार्च को बुलाए गए बंद का समर्थन नहीं: डीके शिवकुमार.
महादेव ने कथित तौर पर एक यात्री को कन्नड़ में बात करने के लिए कहा था, जिससे विवाद बढ़ गया. इस बंद का नेतृत्व कन्नड़ कार्यकर्ता वाटल नागराज कर रहे हैं, जो कन्नड़ चलुवली वाटल पक्ष के अध्यक्ष हैं.
उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि राज्य सरकार बंद का समर्थन नहीं करती और इस मुद्दे पर कन्नड़ संगठनों से बातचीत की जाएगी. सरकार ने कहा कि बंद से छात्रों को परेशानी होगी, खासकर क्योंकि इस समय परीक्षाएं चल रही हैं.
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें:
- महाराष्ट्र एकीकरण समिति पर प्रतिबंध लगाया जाए, क्योंकि यह कन्नड़ भाषियों के खिलाफ गतिविधियों में संलिप्त है.
- कर्नाटक में हिंदी थोपने का विरोध किया जाए.
- कालसा बंदूरी और महादयी परियोजना को तत्काल लागू किया जाए और उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र का विकास किया जाए.
- केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी का पूरा हिस्सा और पर्याप्त बजट आवंटन न मिलने का विरोध किया जाए.
क्या रहेगा खुला और क्या रहेगा बंद?
यह सेवाएं खुली रहेंगी:
- मेट्रो सेवाएं सामान्य रूप से चलेंगी.
- होटल और रेस्टोरेंट खुले रहेंगे.
- दूध की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी.
- अस्पताल और मेडिकल सेवाएं, जिसमें फार्मेसी भी शामिल है, चालू रहेंगी.
यह सेवाएं बंद रहेंगी:
- बीएमटीसी और केएसआरटीसी बसें सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक नहीं चलेंगी.
- ओला, उबर टैक्सी और ऑटो रिक्शा सेवाएं प्रभावित रहेंगी.
- सिनेमा थिएटर और फिल्म शो बंद रह सकते हैं.
- बैंक सेवाएं बंद रहेंगी.
भाषाई विवाद: कर्नाटक बनाम महाराष्ट्र का सीमा संघर्ष
1960 में महाराष्ट्र राज्य के गठन के बाद, उसने 865 गांवों पर दावा किया था, जिनमें बेलगावी, कारवार और निप्पाणी शामिल हैं. कर्नाटक सरकार ने इन क्षेत्रों को छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे मराठी और कन्नड़ भाषी समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया. बेलगावी क्षेत्र में बड़ी संख्या में मराठी भाषी लोग रहते हैं, जिससे भाषाई टकराव और सीमा विवाद बार-बार उभरता रहता है.