
Karnataka Bandh: कन्नड़ संगठनों के समूह 'कन्नड़ ओक्कुटा' ने 22 मार्च 2025 को 'कर्नाटक बंद' का आह्वान किया है. यह बंद बेलगाम में एक बस कंडक्टर पर हुए हमले के विरोध में बुलाया गया है. आरोप है कि पिछले महीने कर्नाटक राज्य परिवहन के एक बस कंडक्टर की सिर्फ इसलिए पिटाई की गई, क्योंकि उसे मराठी नहीं आती थी. इस घटना से कन्नड़ समर्थकों में काफी नाराज़गी है. हालांकि, राज्य सरकार इस बंद के समर्थन में नहीं है.
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने साफ़ शब्दों में कहा कि सरकार बंद के पक्ष में नहीं है और यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा.
ये भी पढें: कर्नाटक में मंत्रियों, विधायकों ने ‘हनी ट्रैप’ के प्रयासों का आरोप लगाया
शिवकुमार ने क्यों किया विरोध?
डिप्टी सीएम शिवकुमार ने विधान परिषद में इस मुद्दे पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा, "बंद की जरूरत नहीं है. इसके बजाय संगठनों को सरकार से बातचीत करनी चाहिए थी. यह फैसला छात्रों के लिए नुकसानदायक होगा, क्योंकि उस दिन SSLC (कक्षा 10) बोर्ड परीक्षा हो रही है. इसके अलावा, 22 मार्च को ‘विश्व जल दिवस’ पर हम कावेरी आरती और जल संरक्षण अभियान शुरू करने वाले हैं. ऐसे में बंद से आम जनता को ही दिक्कत होगी.”
शिवकुमार ने यह भी कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत करेगी और उन्हें समझाने की कोशिश करेगी कि बंद से कोई समाधान नहीं निकलेगा. उन्होंने कहा, "कोर्ट भी ऐसे बंदों को मंजूरी नहीं देते हैं, इसलिए हम इस हड़ताल को समर्थन नहीं देंगे."
बंद को कितना समर्थन?
कन्नड़ ओक्कूटा के नेता वाटल नागराज ने दावा किया है कि बंद को बड़े पैमाने पर समर्थन मिलेगा. हालांकि, कुछ संगठनों की भागीदारी को लेकर अभी संदेह बना हुआ है. सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि बंद को रोका जाए और छात्रों की परीक्षा बिना किसी परेशानी के हो सके.
सरकार की रणनीति क्या है?
सरकार ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी हालत में आम जनता और छात्रों को परेशान नहीं होने देगी. प्रशासन ने संगठनों से बातचीत करने और उन्हें शांतिपूर्ण समाधान निकालने की सलाह दी है.
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या कन्नड़ संगठन सरकार की बात मानते हैं या 22 मार्च को राज्य में सचमुच बंद देखने को मिलेगा!