दुमका में झामुमो की विशाल रैली, केंद्र सरकार और राज्यपाल पर जमकर बरसे हेमंत सोरेन

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ऐलान किया है कि राज्य में 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी हर हाल में लागू होगी. विधानसभा से पारित इस पॉलिसी का बिल राज्यपाल ने असंवैधानिक बताते हुए लौटा दिया है, लेकिन ऐसी ही पॉलिसी कर्नाटक में पारित कर दी गई है.

सीएम हेमंत सोरेन (Photo Credits ANI)

रांची, 3 फरवरी : झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ऐलान किया है कि राज्य में 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी हर हाल में लागू होगी. विधानसभा से पारित इस पॉलिसी का बिल राज्यपाल ने असंवैधानिक बताते हुए लौटा दिया है, लेकिन ऐसी ही पॉलिसी कर्नाटक में पारित कर दी गई है. पार्टी ने कहा कि यह पॉलिसी झारखंड की भावी पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है. झारखंड में इसे लागू कराने के लिए पार्टी किसी भी स्तर पर लड़ाई और संघर्ष से पीछे नहीं हटेगी.

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में पार्टी के स्थापना दिवस पर गुरुवार रात आयोजित सम्मेलन सह रैली में यह ऐलान किया. उन्होंने कहा कि झारखंडियों को वाजिब हक देने के लिए हमने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाई. लेकिन इसे रोकने के लिए ताकतें सक्रिय हो गई हैं. हमारे खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं. ऐसी ताकतें झारखंड के लोगों को बोका (मूर्ख) समझती हैं, पर अब बोका ऐसे लोगों को उनकी औकात बताएगा. झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने कहा कि विपक्ष की साजिशों को समझें और जवाब दें. यह भी पढ़ें : अरुणाचल प्रदेश: आंदोलन कर रहे शिक्षकों ने परीक्षाओं का बहिष्कार करने का फैसला टाला

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार ने केंद्र पर बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ मांगा तो हमारे पीछे सीबीआई-ईडी को लगा दिया गया. भाजपा जब चुनावी मैदान में हमसे नहीं जीत पा रही, तब सरकारी संस्थाओं का हमारे खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है. भाजपा की कथनी-करनी में अंतर है. इसके विपरीत हमारी सरकार जो कहती है, वही करती है.

सम्मेलन और रैली में जुटे लाखों लोगों के बीच झामुमो ने कुल 47 राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए. इसमें छोटानागपुर-संथाल परगना टेनेंसी एक्ट को सख्ती से लागू करने, दुमका में उच्च न्यायालय खंडपीठ की स्थापना, दुमका को पूर्ण तौर पर उपराजधानी बनाने, सीएए और एनआरसी को खारिज करने, ओबीसी आरक्षण को लागू करने, सभी विद्यालयों में संथाली, बांग्ला व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई शुरू करने, तृतीय-चतुर्थ वर्गीय पदों को स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने की मांगों के प्रस्ताव शामिल हैं.

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