रांची, 31 मई : झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के 31 जनवरी को जेल जाने के बाद सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाली उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा में फिलहाल किसी ओहदे पर नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान वह न सिर्फ अपनी पार्टी, बल्कि “इंडिया” गठबंधन की ओर से राज्य में सबसे बड़ी स्टार प्रचारक के रूप में उभरकर सामने आईं.
कल्पना सोरेन के मीडिया एडवाइजर और झामुमो के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री के मुताबिक, चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने 353 छोटी-बड़ी सभाएं कीं. राज्य के लोकसभा क्षेत्रों में उन्होंने कुल 51 बड़ी रैलियों में भाग लिया. इसके अलावा दिल्ली और मुंबई में “इंडिया” गठबंधन की ओर से आयोजित साझा रैलियों में झारखंड मुक्ति मोर्चा का प्रतिनिधित्व किया. यह भी पढ़ें : Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव में टूटा रैलियों का रिकॉर्ड, यहां जानें किस नेता ने कितनी जनसभाएं और रोड शो की
रांची में 21 अप्रैल को “इंडिया” गठबंधन की ओर से साझा तौर पर बड़ी रैली हुई और इसके बाद वह राज्य में गठबंधन का सबसे बड़ा चेहरा बन गईं. कल्पना सोरेन गिरिडीह जिले के गांडेय विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में प्रत्याशी रहीं और इस दौरान उन्होंने अपने क्षेत्र में छोटी-बड़ी 300 सभाएं और बैठकें कीं.
कल्पना सोरेन की राजनीति में औपचारिक तौर पर एंट्री चार मार्च को गिरिडीह में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस पर आयोजित रैली के साथ हुई. इसके 12 दिनों के बाद जब लोकसभा चुनाव और झारखंड में गिरिडीह जिले की गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान हुआ, तो उन्होंने पार्टी और गठबंधन की ओर से प्रचार अभियान का मोर्चा संभाल लिया.
उन्होंने राज्य के सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों में गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभाएं कीं और एक तरह से ढाई महीने के भीतर राज्य का चप्पा-चप्पा छान डाला. पार्टी की ओर से उन्हें हेलीकॉप्टर मुहैया कराया गया, जिससे वह एक दिन में तीन-चार रैलियों में शामिल होती रहीं.
झामुमो के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री ने कहा, “कल्पना जी को चुनावी रैलियों, जनसभाओं और जनसंपर्क के दौरान हर तबके के लोगों का जिस तरह का समर्थन मिला, वह अकल्पनीय है. उनकी हर सभा में भीड़ मंच तक पहुंचती रही. उन्हें सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार करते रहे. महिलाओं और युवाओं से उन्होंने हर सभा में सीधा संवाद किया और हमें उम्मीद है कि उनकी अथक मेहनत का नतीजा 4 जून को चुनावी नतीजों में दिखेगा.”
कल्पना सोरेन ने चुनावी जनसभाओं में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया. इसके अलावा उन्होंने आदिवासियों, महिलाओं, युवाओं के लिए सरकार के कामकाज का ब्योरा अपने अंदाज में पेश किया. उन्होंने अपने भाषणों में केंद्र की सरकार और भाजपा को भी निशाना बनाया.