जन औषधि के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 7 मार्च को ''जन औषधि दिवस'' मनाया जाता है. इस बार भी देश में 5वां 'जन औषधि दिवस' मनाया जाएगा. इसी क्रम में 1 मार्च से 7 मार्च तक पूरे देश में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस बार का थीम 'जन औषधि सस्ती भी अच्छी भी' रखा गया है.
देश में ही नहीं, विदेश में भी लोकप्रिय हो रहे जन औषधि केंद्र
गौरतलब हो, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) अब देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी लोकप्रिय हो रहा है. पूरी दुनिया का विश्वास अब भारतीय जनऔषधि में पहले से काफी अधिक बढ़ गया है. ग्लोबल साउथ यानि विकासशील देशों में भी 'प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र' के प्रति लोगों के बीच रुचि काफी बढ़ गई है. यह भी पढ़ें : चाईबासा में नक्सलियों की बिछाई बारूदी सुरंग के विस्फोट में एक की मौत, एक घायल
देशभर में 10 हजार जनऔषधि केंद्र खोले जाने की योजना
यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस साल के आखिर तक देश भर में 10 हजार प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है. फिलहाल, देशभर में 9 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र मौजूद हैं, जहां करीब 1,800 दवाइयां और करीब 300 सर्जिकल उपकरण किफायती दरों पर मिलते हैं.
यहां 50 से 90 फीसदी तक दवाइयां मिलती हैं सस्ती
देश में मौजूद 9 हजार से अधिक जन औषधि केंद्रों पर वर्तमान समय में 50 से 90 फीसदी तक दवाइयां सस्ती मिलती हैं. महज इतना ही नहीं, ये दवाएं गुणवत्ता के लिहाज से बेहतरीन और असरदार होती हैं. यही बड़ी वजह है कि हर दिन करीब 12 लाख लोग इन जन औषधि केंद्रों पर जाते हैं.
जन औषधि केंद्र खोलना वालों का भी रखा गा है खास ध्यान
वहीं जो लोग जनऔषधि केंद्र खोलना चाहते हैं उनको सरकार की तरफ से मदद भी दी जाती है, साथ ही साथ उन्हें 20 फीसद का कमीशन भी दिया जाता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि जन औषधि केंद्रों पर न केवल सस्ती दवाइयां मिलती हैं बल्कि यह लोगों को रोजगार भी मुहैया कराता है.
देश के 743 जिलों में जन औषधि केंद्र
ज्ञात हो, देश के 764 में से 743 जिलों में जन औषधि केंद्र खुल गए हैं. यदि बीते वर्षों जन औषधि केंद्रों पर दवाओं की बिक्री का ट्रैक-रिकॉर्ड देखें तो यहां वित्त वर्ष 2021-22 में 893 करोड़ की दवाओं की बिक्री हुई है. इससे आम लोगों की जेब से 5360 करोड़ रुपए की मोटी बचत हुई है.
दुनिया के हर 5 में से एक व्यक्ति भारत में बनी दवा खाता है
इस बार ''जन औषधि दिवस'' बेहद खास इसलिए भी रहने वाला है क्योंकि इस बार देश के चालीस लोकेशन पर सप्ताह भर तक नुक्कड़ नाटक, मोबाइल वैन, दिल्ली हाट में जन औषधि केंद्र का मॉडल, सेल्फी पॉइंट के साथ-साथ पद यात्रा का भी आयोजन किया जा रहा है. 3 मार्च को महिला आधारित कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. वहीं जन औषधि के प्रति जागरूकता के लिए दो विशेष ट्रेन भी चलाई जाएंगी. ये ट्रेन दिल्ली से छत्तीसगढ़ और पुणे से दानापुर तक चलेगी. इसके अलावा 10 शहरों में हेरिटेज वॉक का भी आयोजन किया जाएगा. 7 मार्च को सभी जन औषधि केंद्रों पर जनप्रतिनिधि के अलावा डॉक्टर और जिन लोगों ने जन औषधि केंद्रों से दवाइयां ली हैं वो भी अपना अनुभव साझा करेंगे.
भारत की जेनेरिक दवाइयां दुनियाभर में मशहूर हैं. दुनिया के हर 5 में से एक व्यक्ति भारत में बनी दवा खाता है. 2014 से पहले जन औषधि केंद्रों के शेयर 2 फीसद था जो अब बढ़कर 8 फीसद से ज्यादा हो गया है. जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाओं की तारीफ में केन्द्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर कहा कि जन औषधि सस्ती और अच्छी है. हर वर्ष की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए देशभर में 5वां जन औषधि दिवस मनाया जाएगा.
भारतीय जन औषधि केंद्रों के विकास में यूं जुड़ता गया कारवां...
उल्लेखनीय है कि सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, नवंबर, 2008 में रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) शुरू की गई थी. 31 जनवरी तक, 2023 तक, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) की संख्या बढ़कर 9,082 हो गई है. पीएमबीजेपी के तहत, देश के 764 जिलों में से 743 जिलों को कवर किया गया है. सरकार ने दिसंबर 2023 के अंत तक पीएमबीजेके की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है. पीएमबीजेपी के तहत 1,759 दवाएं और 280 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं. इसके अलावा, प्रोटीन पाउडर, माल्ट-बेस्ड फूड सप्लीमेंट्स, प्रोटीन बार, इम्युनिटी बार, सैनिटाइजर, मास्क, ग्लूकोमीटर, ऑक्सीमीटर आदि जैसी नई दवाएं और न्यूट्रास्यूटिकल्स उत्पाद भी लॉन्च किए गए हैं.