जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद आज पांचवा शुक्रवार है. जुम्मे के दिन जुटने वाली भीड़ में नागरिकों की सुरक्षा के लिए संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी की गई है. घाटी में जन-जीवन धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है. बाजारों में रौनकें लौट रही है. लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. घाटी में नमाजियों को किसी तरह की परेशानी न हो इसलिए लिए प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी. एक महीने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में अंतरराज्यीय व्यापारिक गतिविधियां धीरे-धीरे फिर से शुरू हो रही हैं और अब चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधों को उठाए जा रहा है. मुख्य सचिव राजीव कंसल का दावा है कि 90 फीसदी पाबंदियां हटा ली गई हैं और स्थिति सामान्य हो रही है.
कश्मीर के अधिकतर हिस्से में लैंडलाइन फोन की घंटी बजने से लोगों को बड़ी राहत मिली है. घाटी में स्थिति को शांत देखते हुए राज्य प्रशासन ने धीरे-धीरे प्रशासनिक पाबंदियों में राहत का क्रम शुरू कर रखा है. लालचौक और उसके साथ सटे इलाकों में टेलीफोन सेवा बहाल होने से स्थानीय व्यापारी वर्ग ने भी राहत की सांस ली है. गुरुवार को श्रीनगर समेत वादी के विभिन्न शहरों और कस्बों में सड़कों पर दिनभर निजी वाहनों की आवाजाही खूब रही.
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घाटी से हट रही पाबंदियां
सचिव रोहित कंसल ने बताया कि घाटी के 90 फीसदी हिस्से में दिन के समय की पाबंदियां हटा दी गई है. कंसल ने कहा कि कश्मीर घाटी में 111 पुलिस थाना क्षेत्रों में दिन के समय की पाबंदियां और 92 थाना क्षेत्रों से पूरी तरह से हटा दी गई है, जो पिछले हफ्ते के 81 थाना क्षेत्रों से अधिक है. उन्होंने कहा, "इस तरह घाटी के 90 फीसदी हिस्से में दिन के समय की पाबंदियां पूरी तरह से हटा दी गई हैं.''
प्रधान सचिव ने कहा, "जम्मू और लद्दाख सभी तरह की पाबंदियों से पहले से ही पूरी तरह से मुक्त हैं. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के 93 फीसदी हिस्से आज किसी निषेधाज्ञा से पूरी तरह से मुक्त हैं." उन्होंने कहा कि घाटी में 26,000 से अधिक लैंडलाइन फोन काम कर रहे हैं. कंसल ने कहा, "हमने 29 और टेलीफोन एक्सचेंज खोलने का फैसला किया है. इस तरह कुल 95 एक्सचेंज में से अब 76 संचालित हो रहे हैं."
(इनपुट एजेंसी से भी)