नई दिल्ली: जैन समाज के ख्यातिप्राप्त संत तरुण सागर की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है. खबरों की मानें तो उनपर दवाओं का भी असर होना बंद हो गया है. जिसके बाद तरुण सागर ने अब ना केवल आहार को त्याग दिया है बल्कि इलाज करावाने से भी मना कर दिया है. कहा जा रहा है वें संथारा से अब देह त्याग देंगे.
संत तरुण सागर बीते 20 दिनों से पीलिया का इलाज करवा रहे थे. उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था. लेकिन जब सेहत में सुधार नहीं हुआ तो जैन मुनि ने आगे इलाज कराने से भी मना कर दिया है और अपने अनुयायियों के साथ दिल्ली के कृष्णा नगर स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल पर आ गए है.
दिल्ली जैन समाज के अध्यक्ष चक्रेश जैन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि तरुण सागर अपने गुरु पुष्पदंत सागर महाराज की स्वीकृति के बाद संथारा ले रहे हैं. जिसके बाद तरूण सागर को देखने तमाम जैन संत लगातार दिल्ली पहुंच रहे हैं.
जागो जैनों जागो, साम्प्रदायिकता त्यागो।बकरों को बचाने वाला समाज पूज्य संत तरूणसागर जी को बचाने आगे आएँ, विश्व स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराएँ।समाधी के लिए दबाव न बनाएँ। दबाव में ली गयी समाधी समाधी होती ही नहीं। समाधी आख़री विकल्प होता हैं, वह भी स्वेच्छा से। pic.twitter.com/J3mmL1ACRs
— Acharya Lokesh Muni (@Munilokesh) August 31, 2018
आचार्य लोकेश मुनि ने ट्वीट कर वीडियो शेयर किया है. जिसमें अन्य जैन मुनियों के साथ बैठे तरुण सागर बहुत कमजोर दिखाई दें रही है. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा “जागो जैनों जागो, साम्प्रदायिकता त्यागो।बकरों को बचाने वाला समाज पूज्य संत तरूण सागर जी को बचाने आगे आएँ, विश्व स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराएँ।समाधी के लिए दबाव न बनाएँ। दबाव में ली गयी समाधी समाधी होती ही नहीं। समाधी आख़री विकल्प होता हैं, वह भी स्वेच्छा से।“
आपको बता दें कि संत तरुण सागर का जन्म मध्यप्रदेश के दमोह में स्थित गुहजी गांव में 26 जून, 1967 को हुआ था. जैन धर्म के मुताबिक संथारा का सरल मतलब मृत्यु तक उपवास माना जाता है. जैन शास्त्रों में इस तरह की मृत्यु को संथारा या संल्लेखना कहा जाता है. इसे जैन समाज जीवन की अंतिम साधना भी मानते है.