बाबा बर्फानी की पवित्र अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 1 जुलाई से हो चुकी है. 45 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में श्रद्धालुओं की सुरक्षा में आईटीबीपी के जवान दिन-रात लगे हुए हैं. आईटीबीपी के जवान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हर परिस्थिति में डट कर खड़े हैं. ये हिमवीर प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों के बीच भी ढाल बनकर श्रद्धालु की रक्षा कर रहे हैं. इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के जवान सुरक्षा के साथ-साथ हर मुश्किल वक्त में मददगार की भूमिका भी निभा रहे हैं. एक ओर जहां ये हिमवीर बहुत से श्रद्धालुओं को मेडिकल सहायता पहुंचा रहे हैं, वहीं अमरनाथ यात्रा के रूट में किसी भी मुसीबत से बचाने के लिए चट्टान की तरह ढाल बनकर खड़े नजर आ रहे हैं.
दरअसल धार्मिक यात्रा के दौरान जब श्रद्धालु बालटाल रूट पर बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आगे बढ़ रहे थे, उसी दौरान पहाड़ियों में भूस्खलन हो गया और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े मार्ग की तरफ तेजी से आने लगे. सुरक्षा में तैनात जवान पत्थर के भारी-भरकम टुकड़ों के सामने चट्टान की तरह खड़े हो गए और बिना अपनी जान की परवाह किए पत्थरों को यात्रियों तक पहुंचने से रोकते रहे. घटना का वीडियो सामने आया. इस वीडियो को देखकर आप भी समझ जाएंगे कि किस तरह आईटीबीपी जवान चट्टानों से श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए खुद चट्टान बने खड़े हैं.
ITBP personnel braving shooting stones at a snow slope by placing Shield wall to ensure safe passage of #Amarnath Yatris on Baltal route.#Himveers pic.twitter.com/fVSIYEzn8x
— ITBP (@ITBP_official) July 4, 2019
बता दें कि आईटीबीपी के जवान अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं को हर तरह की मेडिकल मदद भी पहुंचा रहे हैं. आईटीबीपी जवानों ने 12 हजार फीट की ऊंचाई पर सांस लेने में दिक्कत के बाद 25 श्रद्धालुओं की मदद की. जवानों ने उन्हें तुरंत ऑक्सिजन मुहैया कराई. अमरनाथ यात्रा के तीसरे दिन बुधवार को करीब 14 हजार श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में दर्शन किए.
इस साल अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू हुई है और 45 दिनों बाद 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ संपन्न होगी. पवित्र अमरनाथ गुफा कश्मीर हिमालय में समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. आतंकी हमले की आशंका के चलते अमरनाथ यात्रा मार्ग पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम किए हैं. यात्रा मार्ग पर हजारों सुरक्षाबल सहित पुलिस फोर्स चौबीसों घंटे तैनात हैं.