नई दिल्ली, 4 जनवरी : भारतीय शेयर बाजार के लिए यह सप्ताह उतार-चढ़ाव भरा रहा, क्योंकि निवेशकों ने भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच मल्टी-एसेट रणनीति की ओर रुख किया. डोनाल्ड ट्रंप भी 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में वापसी करने जा रहे हैं. बाजार के जानकारों के अनुसार, मजबूत अमेरिकी डॉलर और हाई वैल्यूएशन के कारण बाजार में सेल-ऑन सेंटीमेंट बना हुआ है, जिससे घरेलू बेंचमार्क सूचकांकों ने सप्ताह का समापन निराशा के साथ किया. मजबूत गिरावट के बाद, बेंचमार्क सूचकांकों ने शुक्रवार को कुछ राहत की सांस ली. हालांकि, निफ्टी सूचकांक 24,005 पर नकारात्मक नोट पर बंद हुआ. अस्थिरता सूचकांक, इंडिया वीआईएक्स, 1.43 प्रतिशत घटकर 13.54 पर आ गया, जो बाजार में कम अस्थिरता को दर्शाता है.
असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड के ऋषिकेश येदवे ने कहा, "जब तक सूचकांक 23,900 से ऊपर बना रहता है, तब तक निफ्टी के लिए 'बाय-ऑन डिप्स' रणनीति की सिफारिश की जाती है." शुक्रवार को सेंसेक्स 720.60 अंक या 0.90 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,223.11 पर और निफ्टी 183.90 अंक या 0.76 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,004.75 पर बंद हुआ निफ्टी बैंक 616.75 अंक या 1.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 50,988.8 पर बंद हुआ. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 177.15 अंक या 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,931.05 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 46.65 अंक या 0.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,033.70 पर बंद हुआ. यह भी पढ़ें : नोएडा में नौ महीने में 2,100 करोड़ रुपये की शराब बिकी: आबकारी अधिकारी
दिसंबर में मजबूत बिक्री के कारण ऑटो सेक्टर ने दूसरे सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया. मिड और स्मॉल कैप में धीमी रिकवरी देखने को मिली, जबकि लार्ज कैप में गिरावट रही. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार निकासी के बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अपना आशावादी रुख बनाए रखा. आगामी तिमाही के लिए निवेशक नए साल में सतर्क बने हुए हैं.
जानकारों के अनुसार, ट्रंप की आर्थिक नीतियों और हाई-वैल्यूएशन को लेकर अनिश्चितता अल्पावधि में शेयर बाजार को प्रभावित कर सकती है. खासकर उभरते बाजारों में यह प्रभाव दिखाई दे सकता है. निवेशकों द्वारा बजट से पहले अपेक्षाओं के आधार पर अपने पोर्टफोलियो को अलाइन करने की संभावना है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि एफओएमसी मिनट, यूएस नॉन-फार्म पेरोल और बेरोजगारी दर जैसे प्रमुख डेटा बिंदु बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगे.