Hacking Row: Apple ने 150 देशों में एडवाइजरी जारी की, विपक्ष के फोन हैकिंग के आरोपों पर बोले अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'ऐपल द्वारा 150 देशों में अलग-अलग लोगों को फोन हैकिंग का अलर्ट मिला है.' अश्विनी वैष्णव ने बताया कि Apple ने ऐसे मैसेज अलर्ट्स को लेकर 150 देशों में इसे लेकर एडवाइजरी जारी की है. हालांकि, सरकार की तरफ से इस मामले में जांच के आदेश दिए जा चुके हैं.
नई दिल्ली: विपक्ष के नेताओं की तरफ से केंद्र सरकार पर गए जासूसी करने के आरोपों पर केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने जवाब दिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष के आरोप निराधार हैं, लेकिन कुछ लोगों को आलोचना करने की आदत लग गई है. उन्होंने कहा है कि जब विपक्ष के पास मुद्दा नहीं होता तो यह जासूसी का आरोप लगाने लगते हैं. Apple कंपनी द्वारा फोन हैकिंग अलर्ट के दावे के बीच केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “सरकार इस मुद्दे को लेकर चिंतित है और वह इसकी तह तक जाएगी. देश में कुछ बाध्यकारी आलोचक हैं. ये लोग देश का विकास नहीं देख सकते. क्योंकि जब उनका परिवार सत्ता में था तो वे केवल अपने बारे में सोचते थे." राहुल गांधी बोले- देश की पॉवर पीएम के नहीं, किसी और के हाथ में है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'ऐपल द्वारा 150 देशों में अलग-अलग लोगों को फोन हैकिंग का अलर्ट मिला है.' अश्विनी वैष्णव ने बताया कि Apple ने ऐसे मैसेज अलर्ट्स को लेकर 150 देशों में इसे लेकर एडवाइजरी जारी की है. हालांकि, सरकार की तरफ से इस मामले में जांच के आदेश दिए जा चुके हैं.
Apple ने अपने बयान में क्या कहा
Apple ने इस पूरे विवाद पर अपना बयान जारी कर कहा कि हम इस तरह की सूचना नहीं देते हैं. हम राज्य प्रायोजित खतरे का अलर्ट नहीं देते हैं.' कंपनी ने अपने बयान में कहा, ‘सरकार प्रायोजित हैकर बहुत अच्छी तरह से वित्त पोषित और परिष्कृत होते हैं, और उनके हमले समय के साथ विकसित होते रहे हैं. ऐसे हमलों का पता लगाना खतरे के खुफिया संकेतों पर निर्भर करता है जो अक्सर अपूर्ण होते हैं.’
इसके अलावा कंपनी ने कहा, ‘यह संभव है कि खतरे की कुछ सूचनाएं फॉल्स अलार्म हो सकती हैं, या कुछ हमलों का पता नहीं चल पाता है. हम इस बारे में जानकारी देने में असमर्थ हैं कि किस कारण से हमें खतरे की सूचनाएं जारी करनी पड़ रही हैं, क्योंकि इससे सरकार प्रायोजित हमलावरों को भविष्य में पहचान से बचने के लिए अपने व्यवहार को अनुकूलित करने में मदद मिल सकती है.’