नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच देश में कई जगहों पर इंटरनेट सर्विस पर रोक लगा दी गई है. इंटरनेट के बंद हो जाने से लोगों को काफी मुसिबतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इस बीच ऐसे कई ऐप्स हैं जिन पर चैट के लिए इंटरनेट की जरुरत नहीं है. इंटरनेट पर रोक लगने के बाद ऑफलाइन मैसेजिंग ऐप्स के इस्तेमाल में इजाफा होता दिख रहा है. ब्रिजफाइ (Bridgefy), फायरचैट (FireChat) जैसे ऑफलाइन मैसेजिंग ऐप्स इन दिनों खूब इस्तेमाल किए जा रहे हैं. इन दोनों ऐप्स का इस्तेमाल हॉन्ग कॉन्ग में चीन के खिलाफ जोर पकड़े आंदोलन में हुआ था. नागरिकता कानून के खिलाफ उतरे प्रदर्शनकारियों ने शायद हॉन्ग कॉन्ग विरोध से ही इसकी सीख ली.
इन दोनों ऐप्स से कम दूरी के ब्लूटुथ कनेक्शन से मैसेजेस भेजे जा सकते हैं. इन ऐप्स के लिए किसी भी तरह के नेटवर्क की जरुरत नहीं है. अमेरिकी ऐप इंटेलिजेंस फर्म ऐपोटॉपिया के आंकड़ों के अनुसार 12 दिसंबर से जब असम और मेघालय में इंटरनेट पर रोक लगी तो ब्रिजफाइ ऐप डाउनलोड और उसके इसेतमाल में करीब 80 फीसदी इजाफा हुआ. देश के अन्य राज्य जहां इंटरनेट पर र्प्क लगाईं गई है वहां भी इन ऐप्स के यूजर्स की संख्या में इजाफा दिख रहा है.
यह भी पढ़ें- CAA पर बवाल: उत्तर प्रदेश में हिंसा के दौरान अब तक 15 की मौत, सोमवार तक 15 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद.
शटडाउन के दौरान बढ़े यूजर्स
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी इन ऐप्स को इस्तेमाल किया जा रहा है. पूरे मामले में ब्रिजफाइ ऐप पर कंपनी का कहना है कि इसे बनाने का मकसद हिंसा फैलाना नहीं बल्कि शटडाउन के दौरान लोगों से संपर्क साधना है. ब्रिजफाइ ने भी अपने ट्विवटर हैंडल पर बताया कि उसके यूजर्स भारत में बढ़ रहे हैं. कंपनी ने ट्वीट किया, हम ज्यादा-से-ज्यादा तेज गति से मेसेज ट्रांसफर में यूजर्स की मदद कर रहे हैं.
इंटरनेट पर पाबंदी से पहले देश में ब्रिजफाइ हर दिन औसतन 25 बार डाउनलोड होता था जबकि शटडाउन वाले दिनों में 13 दिसंबर के बाद इसमें 100 गुना इजाफा हुआ, और यह आंकड़ा प्रतिदिन 2,609 डाउनलोड पर पहुंच गया. ब्रिजफाइ के ऐक्टिव यूजर बेस में करीब 65 गुना इजाफा हुआ. 11 दिसंबर तक पहले इसे 184 लोग इस्तेमाल किया करते थे. यह संख्या 12 दिसंबर से बढ़कर 12,118 तक पहुंच गई. दिल्ली में इंटरनेट पर पाबंदी के बाद ब्रिजफाइ ऐप डाउनलोड और इस्तेमाल 30 गुना बढ़ गया.