
Kalyan Satta Matka Mumbai: कल्याण सट्टा मटका, जिसे आमतौर पर 'सट्टा मटका' कहा जाता है, भारत में लोकप्रिय जुआ खेलों में से एक है. यह खेल 1950 के दशक में शुरू हुआ और समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए. आज भी यह खेल लाखों लोगों की रुचि का केंद्र बना हुआ है, भले ही भारत में इसे अवैध माना जाता है. सट्टा मटका की शुरुआत कपास के व्यापार से हुई थी. 1950 के दशक में, व्यापारी न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज और बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज के आधार पर कपास की कीमतों पर सट्टा लगाते थे.
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1961 में जब न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज ने इस प्रक्रिया को रोक दिया, तो जुआ खेलने वाले लोगों ने नए तरीके खोजने शुरू किए. इसी दौरान, 'रतन खत्री' और 'कल्याणजी भाई' ने पारंपरिक अंकों की जगह नए फॉर्मूले के साथ सट्टा मटका की शुरुआत की.
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1970 और 1980 के दशक में सट्टा मटका अपने चरम पर पहुंच गया. उस समय मुंबई और गुजरात में इस खेल का बोलबाला था. कल्याण सट्टा मटका की खास बात यह थी कि यह सप्ताह के सातों दिन खेला जाता था, जबकि अन्य मटका बाजार कुछ खास दिनों में ही चलते थे. इस वजह से यह खेल तेजी से लोकप्रिय हुआ.
कैसे खेला जाता है कल्याण सट्टा मटका?
इस खेल में 0 से 9 तक की संख्याओं का उपयोग किया जाता है. खिलाड़ी किसी नंबर या नंबरों के सेट पर दांव लगाते हैं. फिर एक निश्चित समय पर 'मटका' से एक नंबर निकाला जाता है, जिसे 'ओपन' नंबर कहा जाता है. कुछ समय बाद एक और नंबर निकाला जाता है, जिसे 'क्लोज' नंबर कहा जाता है. जो व्यक्ति सही नंबर पर दांव लगाता है, वह जीत जाता है.
क्या भारत में सट्टा मटका वैध है?
भारत में सट्टा मटका और इस तरह के अन्य जुआ खेल गैरकानूनी हैं. सरकार ने इसे रोकने के लिए कई कड़े कानून बनाए हैं, लेकिन इसके बावजूद यह खेल कई जगहों पर चोरी-छिपे खेला जाता है. हालांकि, अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए इसे खेलने की नई तरकीबें सामने आई हैं, जिससे यह खेल फिर से चर्चा में आ गया है.
डिस्क्लेमर: सट्टा मटका या इस तरह का कोई भी जुआ भारत में गैरकानूनी है. हम किसी भी तरह से सट्टा / जुआ या इस तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं.