जानिए आखिर क्यों श्रीहरिकोटा से ही सैटेलाइट लॉन्‍च करता है ISRO

ज्यादातर सैटलाइट पूर्व की तरफ ही लॉन्च किए जाते हैं. इस जगह आबादी नहीं है. यहां या तो इसरो के लोग रहते हैं या फिर स्‍थानीय मछुआरे.

श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण करने की इसरो की सबसे पसंदीदा लोकेशन है (Photo Credit-Facebook)

नई दिल्ली: आप इसरो के हर प्रक्षेपण में श्रीहरिकोटा के बारे में सुनते हैं. इसी कड़ी में आपको बताना चाहते है आखिर वो कैसी जगह है? और हर प्रक्षेपण वहीं से ही क्यों होता है. बता दें कि श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर भारत में उपग्रह प्रक्षेपण करने की इसरो की सबसे पसंदीदा लोकेशन है. इसरो ने अंतरिक्ष में अब तक की सबसे ऊंची उड़ान फरवरी 2018 में भरी. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया गया था. 9 बजकर 28 मिनट पर 104 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण हुआ. 10: 02 मिनट पर इसरो की ओर से इस मिशन के कामयाब होने का ऐलान किया गया. इसी कड़ी में जानिए देश के इस लॉन्चिंग स्टेशन के बारे में खास बातें-

यहां से इसरो सारे सैटेलाइट लॉन्‍च करता है. हम आपको बताते हैं. दरअसल, ये एक द्वीप है, जो आंध्र प्रदेश में है. इसरो को ये इसलिए पसंद है क्‍योंकि ये पूर्व दिशा की तरफ लॉन्चिंग में फायदेमंद जगह मानी जाती है. बता दें कि सतीश धवन स्पेस सेंटर (SHAR) श्रीहरिकोटा में स्थित है.

गौरतलब है कि श्रीहरिकोटा आइलैंड को 1969 में सैटलाइट लॉन्चिंग स्टेशन के रूप में चयनित किया गया था. 1971 में RH-125 साउंडिंग रॉकेट की लॉन्चिंग के साथ सेंटर ऑपरेशनल हुआ. पहला ऑर्बिट सैटलाइट रोहिणी 1A 10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया, लेकिन एक खामी की वजह से 19 अगस्त को यह नष्ट हो गया.

(Photo Credit-Facebook)

 

#जानिए क्यों खास है यह जगह?

बताना चाहते है कि इसकी सबसे बड़ी वजह श्रीहरिकोटा की लोकेशन है. इक्वेटर से इसकी करीबी इसे जियोस्टेशनरी सैटलाइट के लिए उत्तम लॉन्च साइट बनाती है. पूर्वी तट पर स्थित होने से इसे अतिरिक्त 0.4 km/s की वेलोसिटी मिलती है. ज्यादातर सैटलाइट को पूर्व की तरफ ही लॉन्च किया जाता है.

गौरतलब है कि ज्यादातर सैटलाइट पूर्व की तरफ ही लॉन्च किए जाते हैं. इस जगह आबादी नहीं है. यहां या तो इसरो के लोग रहते हैं या फिर स्‍थानीय मछुआरे.

यहां तक पहुंचने वाले उपकरण बेहद भारी होते हैं. इन्हें दुनिया के कोने-कोने से यहां लाया जाता है. जमीन, हवा और पानी हर तरह से यहां पहुंचना बेहतर है. यह नेशनल हाइवे (NH-5) पर स्थित है. नजदीक के रेलवे स्टेशन से 20 किलोमीटर और चेन्नई के इंटरनेशनल पोर्ट से 70 किलोमीटर दूर है.

(Photo Credit-Facebook)

बताना चाहते है कि ऐसे काम के लिए आपको आबादी से दूर रहने की जरूरत होती है. जनता की सुरक्षा और सार्वजनिक संपत्ति की हिफाजत पहला काम होती है, इसीलिए दुनिया के ज्यादातर लॉन्चिंग पैड वाटर बॉडीज के पास हैं.  जानकारी के अनुसार भारत में दो लॉन्चिंग पैड हैं. एक श्रीहरिकोटा में और दूसरा थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, तिरुवनंतपुरम में मौजूद  है.

#आप भी कर सकते है विजिट.

बताना चाहते है कि इसरो से अनुमति लेकर इस लॉन्चिंग पैड को देखा जा सकता है. हर बुधवार को विजिटर्स को यहां ले जाया जाता है.

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