QR Code Rule Change: दुकानदारों और व्यापारियों को 31 मार्च तक पूरा करना होगा ये काम, रिजर्व बैंक ने बदला क्यूआर कोड का नियम
क्यूआर कोड (QR code) स्कैन करके पेमेंट करना, पैसे भेजने और पाने का अब आसान और तेज तरीका बन गया है. सरकार भी डिजिटल भुगतान (Digital Payment) स्वीकारने के लिए दुकानदारों और व्यापारियों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है. दरअसल यह सबसे कम लागत वाला सुरक्षित पेमेंट का विकल्प है.
क्यूआर कोड (QR code) स्कैन करके पेमेंट करना, पैसे भेजने और पाने का अब आसान और तेज तरीका बन गया है. सरकार भी डिजिटल भुगतान (Digital Payment) स्वीकारने के लिए दुकानदारों और व्यापारियों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है. दरअसल यह सबसे कम लागत वाला सुरक्षित पेमेंट का विकल्प है.
क्यूआर कोड से लेनदेन करना पॉइंट-ऑफ-सेल मशीन की तुलना में भी सस्ता और सरल है. मर्चेंट डिस्काउंट रेट अन्य भुगतान विकल्पों की तुलना में कम है. हालांकि अब, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम नियमों के लागू होने के बाद अब एक्सक्लूसिव क्यूआर कोड नहीं जारी किये जाएंगे. आईये जानते है रिजर्व बैंक क्या बदलाव करने जा रहा हैं-
आरबीआई (RBI) ने भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) द्वारा भुगतान लेनदेन के लिए कोई नया प्रॉप्राइटेरी क्यूआर (क्विट रेस्पांस) कोड जारी करने पर रोक लगा दी है. यानि अब कोई भी एक्सक्लूसिव क्यूआर कोड (QR Code) जारी नहीं कर सकता है. रिजर्व बैंक ने कहा कि यूपीआई क्यूआर और भारत क्यूआर कोड जारी रहेंगे.
देश में वर्तमान में दो इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड- यूपीआई क्यूआर (UPI QR) और भारत क्यूआर (Bharat QR) सबसे जादा चलन में हैं. क्यूआर कोड दो आयाम के मशीन द्वारा पढ़े जाने योग्य बारकोड होते हैं. पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) पर मोबाइल के जरिये भुगतान के लिए इनका इस्तेमाल होता है. क्यूआर कोड में बड़ी मात्रा में सूचना रखी जा सकती है.
केंद्रीय बैंक ने दीपक फाटक की अध्यक्षता में भारत में कोड की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की थी. इस समिति को इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड की ओर रुख करने के उपाय सुझाने थे. दो मौजूदा क्विक रेस्पांस (क्यूआर) कोड के साथ ही आगे बढ़ने का फैसला समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है.
अधिसूचना में कहा गया है कि प्रॉप्राइटरी क्यूआर कोड का इस्तेमाल करने वाले एक या अधिक अंत: प्रचालनीय या इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड की ओर स्थानांतरित होंगे. स्थानांतरण की यह प्रक्रिया 31 मार्च, 2022 तक पूरी हो जानी चाहिए. इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा कि कोई भी पीएसओ किसी भुगतान लेनदेन के लिए कोई नया प्रॉप्राइटरी कोड शुरू नहीं करेगा.
इस बीच, रिजर्व बैंक ने भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) के लिए स्व-नियामकीय संगठन की स्थापना के संबंध में अंतिम दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इसमें स्व-नियामक संगठन से संबधित रूपरेखा भी शामिल है. इस रूपरेखा के जरिये केंद्रीय बैंक पीएसओ के लिए स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) को मान्यता दे सकेगा. इस योजना की घोषणा फरवरी-2020 की मौद्रिक समीक्षा में की गई थी.
रिजर्व बैंक के एक सर्कुलर में कहा गया है कि एसआरओ के रूप मान्यता पाने के इच्छुक पीएसओ के समूह/संघ (बैंकों के साथ-साथ गैर-बैंक) रिजर्व बैंक के भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग के मुख्य महाप्रबंधक के पास आवेदन कर सकते हैं.