
Channa Amphibius Rediscovered: भारत के हिमालयी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक खोज हुई है, जो जैव विविधता प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. करीब 80 साल बाद, वन्यजीव शोधकर्ता जयसिम्हन प्रभीनराज और तेजस ठाकरे (ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन) ने दुनिया की सबसे दुर्लभ और गुमशुदा मछली प्रजाति 'चन्ना ऐम्फीबियस' को फिर से खोज लिया है. यह मछली चेल नदी प्रणाली से 1840 में पहली बार दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद से यह मछली पूरी दुनिया में गुम हो गई थी और इसे विलुप्त मान लिया गया था.
शोधकर्ताओं ने जनवरी 31, 2025 को जूटैक्सा पत्रिका में इस महत्वपूर्ण खोज पर एक शोध पत्र प्रकाशित किया है.
दुर्लभ मछली 'चन्ना ऐम्फीबियस' की हुई खोज
After a gap of over 80 years, Wildlife Researcher Jayasimhan Praveenraj along with Wildlife Researcher Tejas Thackeray from Thackeray Wildlife Foundation(TWF) and other researchers have rediscovered Channa amphibeus, one of the world's rarest and most elusive snakehead(fish… pic.twitter.com/JuzpUW2jm9
— Ranjeet Shamal Bajirao Jadhav (@ranjeetnature) January 31, 2025
शोधकर्ताओं ने क्या कहा?
इस ऐतिहासिक खोज को लेकर तेजस ठाकरे ने कहा, "हम बेहद खुश हैं कि चन्ना ऐम्फीबियस को फिर से ढूंढ निकाला गया है. यह मछली अपने आकर्षक रंगों और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है. इसके पुनः मिल जाने से न केवल जैव विविधता को बल मिलेगा, बल्कि संरक्षण के लिए भी नई दिशा मिलेगी."
इस मछली की विशेष पहचान इसके चमकीले पीले और नारंगी धारियों, आंखों के नीचे चमकते नीले पैच और इसके शरीर पर सबसे ज्यादा लेटरल-लाइन स्केल्स के कारण है. इसे 'चेल स्नेकहेड' के नाम से भी जाना जाता है.
जैव विविधता को बचाने के लिए शोध जरूरी
इस पुनः खोज ने यह साबित कर दिया है कि जैव विविधता को बचाने के लिए लगातार शोध और संरक्षण की आवश्यकता है. 2024 में तीन जीवित नमूनों की खोज ने इसके संरक्षण के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है.